जम्मू-कश्मीर, पूर्वोत्तर में आतंकवाद से लेकर देश के भीतर पनप रहे नक्सलवाद तक नए गृह मंत्री अमित शाह के समक्ष कई चुनौतियां खड़ी दिख रही हैं।
सबसे पहली चुनौती तो कश्मीर में शांतिपूर्ण चुनाव कराने की रहेगी। गत सालों में कश्मीर के चुनावों में बहुत ज्यादा हिंसा देखी गई है। इसके साथ ही धारा 370, अनुच्छेद 35 ए व NRC जैसे मसलों से निपटने की चुनौती अब अमित शाह के सामने है।
कश्मीर की चुनौती
कश्मीर से धारा 370 को हटाना व अनुच्छेद 35 ए को ख़ारिज करना बीजेपी का एजेंडा रहा है। लेकिन कश्मीर के लोगों में इस मामले को लेकर बहुत ज्यादा विरोध है। अब शाह के सामने इन लंबित मुद्दों को निपटाने की चुनौती होगी।
पूर्वोतर में आतंकवाद व एनआरसी का मुद्दा
गृह मंत्रालय के लिए दूसरी अहमियत पूर्वोत्तर का क्षेत्र होने कि सम्भावना है, जहां आतंकवाद फिर से पनपने लगा है। एनआरसी के मसले पर टकराव के कारण असम में तनाव बढ़ा है।कोई भी वाजिब भारतीय नागरिक एनआरसी से बाहर न रह जाए, इस बात को सुनिश्चित करना सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती है।
नक्सलवाद की चुनौती
अगले पांच सालों में गृह मंत्री अमित शाह माओवादी हिंसा को पूरी तरह से कुचलने का कोशिश करेंगे। नक्सलियों द्वारा सुरक्षा बलों पर हाल में हमलों की तादाद बढ़ी है, किन्तु कुल मिलाकर हिंसा में कमी आई है।