जानिए क्यों राहुल गांधी, सोनिया गांधी व ऑस्कर फर्नांडिस को जारी की गई नोटिस

आयकर विभाग की तरफ से राहुल गांधी, सोनिया गांधी  ऑस्कर फर्नांडिस को जारी नोटिस के विरूद्ध याचिका पर सुप्रीम न्यायालय में मंगलवार को सुनवाई संक्षिप्त, लेकिन रोचक रही. एकतरफ तीनों कांग्रेसी नेताओं के वकीलों ने शीर्ष न्यायालय को मामले का बैकग्राउंड समझान का कोशिश किया, वहीं जस्टिस एके सिकरी  जस्टिस एस अब्दुल नजीर की पीठ ने उन्हें बोला कि बैकग्राउंड की अहमियत नहीं है, मामला नोटिस के वैध होने या नहीं होने का है. बता दें कि इनकम टैक्स विभाग ने कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी  उनकी मां सोनिया गांधी और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ऑस्कर फर्नांडिस को साल 2011-12 के कर निर्धारण का पुनर्मूल्यांकन करने के लिए नोटिस जारी किया था. इसके विरूद्ध तीनों ने सुप्रीम न्यायालय में याचिका दायर की है. मंगलवार को शीर्ष न्यायालय ने इस मामले में विस्तार से 4 दिसंबर को सुनवाई करने का फैसला लिया.
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इससे पहले  मंगलवार को हुई संक्षिप्त सुनवाई में राहुल, सोनिया  फर्नांडिस की ओर से वरिष्ठ एडवोकेट पी चिदम्बरम, कपिल सिब्बल  अरविंद दत्तार पेश हुए, जबकि इनकम टैक्स विभाग की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता उपस्थित रहे. सुनवाई के दौरान पीठ की तरफ से नोटिस की वैलिडिटी के मुद्दे पर ही बहस होने की बात उठाने पर बोला कि सवाल ये है कि नोटिस जारी करने के लिए दिए गए कारण सही हैं या नहीं. चिदंबरम ने बोला कि यंग इंडिया कंपनी में राहुल  सोनिया शेयरधारक हैं  इस कंपनी ने एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड के कुछ शेयर को खरीदा था. साथ ही एसोसिएटेड जर्नल के 90.2 करोड़ रुपये के कर्ज का भी अधिग्रहण किया था. इसका मतलब यह नहीं कि इससे राहुल-सोनिया की आमदनी में इजाफा हुआ. साथ ही उन्होंने बोला कि यंग इंडिया मुनाफा कमाने वाली कंपनी नहीं है  शेयर लेने मात्र से कर का दायित्व नहीं बन जाता. वहीं सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बोला कि इस तरह के सवालों पर विस्तृत सुनवाई के दौरान बहस की जानी चाहिए.
दो विकल्प दिए थे पीठ ने
इसके बाद पीठ ने दो विकल्प दोनों पक्षों को दिए. पीठ ने बोला कि एक उपाय यह हो सकता है कि हम इस मामले में नोटिस जारी कर देते हैं लेकिन असेसिंग अधिकारी को पुन: मूल्यांकन करने की प्रक्रिया जारी रखने की इजाजत दे सकते हैं या हम दो हफ्ते बाद सुनवाई की तारीख तय करते हैं  मामले का निपटारा कर देते हैं. तुषार मेहता ने दूसरे विकल्प को चुना. कांग्रेसी नेताओं की ओर से पेश वकीलों ने बोला कि इस मामले में नोटिस जारी किया जाए. लेकिन कोटे ने बोला कि चूंकि तुषार मेहता पहले से बतौर कैविएट मौजूद हैं लिहाजा नोटिस जारी करना महत्वपूर्ण नहीं है.