जब रामप्रकाश गुप्ता ने बोला था- बेटा एक दिन तुम मुख्यमंत्री बनोगे
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके रामप्रकाश गुप्ता व राजनाथ सिंह इमरजेंसी के दौरान एक ही कारागार में बंद थे। रामप्रकाश गुप्ता ने यूं ही राजनाथ सिंह का हाथ देखना प्रारम्भकिया। राजनाथ सिंह उस वक्त जनसंघ से जुड़े हुए थे। रामप्रकाश गुप्ता भी जनसंघ में ही थे। राजनाथ सिंह की हथेलियों को गौर से देखते हुए रामप्रकाश गुप्ता ने बोला था कि बेटा एक दिन तुम बहुत बड़े नेता बनोगे। राजनाथ सिंह बोले- कितने बड़े गुप्ता जी। रामप्रकाश गुप्ता बोले- उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री जितना बड़ा। राजनाथ सिंह हंसने लगे। उस वक्त उनकी आयु महज 25 वर्ष की थी। बाद में ये बात हकीकत निकली। राजनाथ सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ही नहीं बने उन्होंने देश के गृहमंत्री व रक्षामंत्री का पद भी संभाला।
1977 में वो पहली बार विधायक बने। 1991 में वो कल्याण सिंह की सरकार में एजुकेशन मंत्री रहे। उस वक्त यूपी में परीक्षाओं में जमकर नकल होती थी। एजुकेशन मंत्री रहते हुए राजनाथ सिंह ने नकल को रोकने के लिए नकल अध्यादेश 1992 के नाम से कानून लेकर आए। इस कानून की वजह से वो बहुत ज्यादा चर्चित हुए। सारे उत्तर प्रदेश की परीक्षाओं में सख्ती बरती जाने लगी।
इसके बाद वो 2000 से लेकर 2002 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी बने। अटल आडवाणी के दौर में राजनाथ सिंह भाजपा के सबसे ताकवर नेताओं में से एक रहे। राजनाथ सिंह 2005 से 2009 व 2013 से 2014 के बीच दो बार भाजपा के अध्यक्ष भी रहे। 2014 की नरेन्द्र मोदी सरकार में उन्होंने गृहमंत्री का पद संभाला। इसके बाद प्रचंड बहुमत के साथ दोबारा चुनकर आई नरेन्द्र मोदी सरकार में रक्षा मंत्री हैं।
राजनाथ सिंह ने एक बार अपने बचपन के बारे में मजेदार किस्सा बताया था। लखनऊ विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में अपने बचपन के बारे में बात करते हुए उन्होंने बताया कि जब वो प्राइमरी स्कूल में थे उनकी स्कूल में एक मौलवी साहब पीटी ( शारीरिक एजुकेशन ) के टीचर हुआ करते थे। कोई भी स्टूडेंट्स जब पीटी के दौरान कोई शरारत करता तो मौलवी साहब जोरदार थप्पड़ लगाते थे। कभी वो छड़ी से भी बच्चों को पीट दिया करते थे। मौलवी साहब की छड़ी का सबमें खौफ हुआ करता था।
राजनाथ सिंह ने बताया था कि उत्तर प्रदेश का एजुकेशन मंत्री बनने के बाद एक बार वो काफिले के साथ अपने घर जा रहे थे। उन्होंने देखा चंदौली के पास सड़क किनारे एक 90 वर्ष का बुजुर्ग हाथों में फूल लिए खड़ा है। राजनाथ सिंह उन्हें तुरंत पहचान गए। ये वही मौलवी साहब थे। राजनाथ सिंह ने अपनी गाड़ी रुकवाई। मौलवी साहब ने बड़े प्यार से उनके गले में माला पहनाई व राजनाथ सिंह ने उनके पैर छूकर आशीर्वाद लिया। इस भावुक पल में मौलवी साहब की आंखों से आंसुओं की धारा फूट पड़ी। राजनाथ सिंह खुद बहुत ज्यादा इमोशनल हो गए।
राजनाथ सिंह के बारे में दिलचस्प बात कम ही लोग जानते हैं। राजनाथ सिंह ने पोस्ट ग्रैजुएशन के बाद मिर्जापुर डिग्री कॉलेज में लेक्चरर की जॉब पकड़ ली थी। वर्ष 2000 में उन्होंने जॉब से रिटायरमेंट ले लिया। रिटायरमेंट के बाद उन्हें बहुत कम पेंशन मिला करती थी। कम ही लोग जानते हैं कि उन्हें चपरासी से भी कम पेंशन मिलती थी। रिटायर होने के बाद उन्हें 1350 रुपए पेंशन के तौर पर मिलते थे। उनके पेंशन की रकम 9500 बने।
लेकिन उन्होंने ये रकम लेने से मना कर दिया। उनसे जब कॉलेज के एडमिनिस्ट्रेशन ने इसकी वजह जाननी चाही तो उन्होंने बोला कि 1992 के बाद से उन्होंने विद्यार्थियों को नहीं पढ़ाया है। इसलिए जब तक उन्होंने विद्यार्थियों को पढ़ाया है उसी वर्ष के हिसाब से उन्हें पेंशन की रकम मिलनी चाहिए। इसके बाद पेंशन की जो रकम कॉलेज ने तय की वो चपरासी से भी कम थी।