जानिए इस तरह से ओडिशा के पटनायक ने रोकी ‘मोदी लहर’ को

‘मोदी लहर’ पर सवार भाजपा ने जहां लोकसभा चुनावों में अप्रत्याशित जीत पंजीकृत करते हुए सत्ता में दुबारा वापसी की है. वहीं एक सीएम ऐसा भी है, जिसने ‘तूफानों’ का सामना करते हुए पीएम से भी अधिक दमदार ढंग से जीत पंजीकृत की है. यह हैं पांचवीं बार ओडिशा के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे नवीन पटनायक, जिन्होंने भाजपा के विजय रथ को ओडिशा में रोक दिया.

चक्रवाती तूफान के बाद ‘मोदी सुनामी’ का किया सामना 
ओडिशा में इस बार लोकसभा  विधानसभा के चुनाव एक ही साथ हुए. प्रदेश की कुर्सी पर 4 बार बैठ चुके नवीन पटनायक के सामने एक तो ‘सत्ता विरोधी लहर’  ‘मोदी-लहर’ के रूप में दो-दो मुख्य चुनौतियां थीं. हालांकि नवीन ने ‘फोनी चक्रवाती तूफान’ के बाद ‘मोदी सुनामी’ का भी डटकर सामना किया.

विधानसभा चुनावों में पहले से अधिक वोट शेयर 
पटनायक की प्रतिनिधित्व में बीजू जनता दल ने विधानसभा चुनावों में 2 फीसदी अधिक वोट शेयर हासिल किया. 147 सदस्यों वाले विधानसभा में बीजेडी को 113 सीटें मिली.भाजपा 23 सीटों के साथ दूसरे नंबर पर रही, लेकिन इससे पटनायक के वोट बैंक पर खास प्रभाव नहीं पड़ा. कांग्रेस पार्टी प्रदेश में 9 सीटों के साथ तीसरे नंबर पर रही. वहीं बात अगर लोकसभा चुनावों की करें तो कुल 21 में से बीजेडी ने 12, जबकि भाजपा ने 8 सीटें जीती. कांग्रेस पार्टी के खाते में एक सीट ही गई.

ओडिशा को समर्पित, 22 वर्षों में नहीं ली छुट्टी 
पिछले दो दशकों से नवीन पटनायक को जान रहे लोग उनकी राजनीतिक प्रवृति  सरेंडर को बेहतर ढंग से समझते हैं. पटनायक अपने सहयोगियों को ‘हड़बड़ी में कार्य करो-फुर्सत से पछताओ’ की चेतावनी देते रहते हैं. पुरी सीट से सांसद पिनाकी मिश्र ने कहा, ‘पटनायक ने पॉलिटिक्स में आने के बाद पिछले 22 वर्षों से एक भी छुट्टी नहीं ली है. ओडिशा के लोगों के प्रति उनके सरेंडर का कोई भी मुकाबला नहीं है.

पंचायत चुनावों की असफलता के बाद हुए अलर्ट 
नवीन के नेतृत्व में बीजेडी का पिछला कार्यकाल करप्शन के आरोपों, कृषि क्षेत्र की समस्या, पार्टी में अंदरुनी कलह से ग्रस्त रहा. इसका परिणाम यह रहा कि 2017 के ग्राम पंचायत चुनावों में बीजेडी की हालत पस्त रही. इसके बाद अलर्ट हुए पटनायक ने पॉलिटिक्स पर मजबूत नियंत्रण स्थापित करते हुए स्थितियों को अपने पक्ष में किया. हॉकी विश्वकप  फिर इन्वेस्टमेंट मीट, जिसमें देश के टॉप इंडस्ट्रियलिस्ट्स शामिल हुए, के पास आयोजन से भी नवीन की छवि को लाभ हुआ.

सोशल स्कीम की बदौलत जन-जन तक बनाई पहुंच 
पंचायत चुनावों में प्रचार अभियान से दूरी बनाए रखने वाले नवीन पटनायक ने हर ब्लॉक पर अपनी पहुंच बनाना प्रारम्भ किया. चुनाव से पहले अपनी लोकप्रियता बढ़ाने के लिए नवीन कई सामाजिक योजनाएं लेकर आए. इसमें किसानों के लिए ‘कालिया स्कीम’ से लेकर स्त्रियों के लिए बीजू स्वास्थ्य योजना शामिल रही. ‘अमा गांव-अमा विकास’ (हमारा गांव-हमारा विकास) योजना के तहत नयी वार्ड समितियां बनाई गईं, जिसमें पंचायत प्रतिनिधियों  जमीनी कार्यकर्ताओं को भी शामिल किया गया. एक तरफ गरीबी तो दूसरी तरफ तूफान की मार झेल रहे ओडिशा के लोगों की जिंदगी में यह योजनाएं मील के पत्थर के जैसी साबित हुईं.

मोदी-शाह की रैलियों के तूफान को भी अकेले ही पछाड़ा 
ओडिशा में नवीन की सफलता के पीछे महिला वोटर्स, विशेष तौर पर ‘मिशन शक्ति’ प्रोग्राम के तहत 70 लाख लोगों के सेल्फ हेल्प ग्रुप का पूरी प्रतिबद्धता के साथ उनके साथ खड़ा होना प्रमुख वजह है. यही वजह रही कि एक तरफ जहां प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने 10 रैलियों को संबोधित किया  अमित शाह ने 18 भ्रमण किए, लेकिन फिर भी नवीन पटनायक बाजी मार ले गए. अपनी पार्टी के एकमात्र स्टार कैंपेनर नवीन पटनायक ने जनता में केवल एकमात्र नारा दिया- ‘अगर आप मुझसे खुश हैं, तो बीजेडी को वोट करें’  पॉजिटिव रिजल्ट हासिल किया.