जानिए अमित शाह के गृहमंत्री बनने के बाद अब, ये होंगे नए अध्यक्ष

बीजेपी के ‘चाणक्य’ कहे जाने वाले अमित शाह के गृहमंत्री बनने के बाद अब यह तय है कि भाजपा को जल्द ही नया अध्यक्ष मिलने जा रहा है. नए अध्यक्ष के बावजूद पार्टी संगठन में किसी बड़े परिवर्तन की गुंजाइश कम ही है.

यह जरूर है कि खाली पड़े कुछ पदों पर नियुक्ति होगी. नए अध्यक्ष की नियुक्ति संसद सत्र के बाद होने वाली भाजपा की कार्यकारिणी की मीटिंग में होने की उम्मीद है. वैसे अभी कार्यकारिणी की मीटिंग की तारीखें तय नहीं की गई हैं, लेकिन ये मीटिंग भी संसद सत्र के बाद ही होगी.

नड्डा हो सकते हैं नए अध्यक्ष
पार्टी सूत्रों का बोलना है कि पार्टी में एक नेता एक पद का सिद्धांत माना जाता है. हालांकि अगर पार्टी सर्वानुमति से तय कर ले तो एक नेता दो पद पर भी रह सकता है. लेकिन मोदी शाह की जोड़ी ऐसा करके पार्टी संगठन में गलत परंपरा नहीं प्रारम्भ करना चाहेंगे. ऐसे में यह महत्वपूर्ण हो जाएगा कि शाह की स्थान कोई नया अध्यक्ष बनाया जाए. पार्टी नेताओं का बोलना है कि हालांकि नए अध्यक्ष के नाम के लिए ओम माथुर, भूपेंद्र यादव  जेपी नड्डा का नाम चर्चा में है. जिस तरह से गुरुवार को नड्डा को कैबिनेट में शामिल नहीं किया गया, उससे यह इशारा माना जा रहा है कि उनके अध्यक्ष बनने की आसार है.

संगठन में परिवर्तन की आसार नहीं
नड्डा पार्टी संगठन से लंबे वक्त से जुड़े हुए हैं  उनके पास संगठन का अनुभव भी है. पार्टी सूत्रों के मुताबिक अगर नड्डा अध्यक्ष बनते हैं तो पार्टी संगठन में बड़ा परिवर्तन होने की आसार नहीं है. इसकी वजह यह है कि अभी संगठन में जो भी पदाधिकारी हैं, वे शाह की टीम के ही हैं. इसके अतिरिक्त परिवर्तन न करने की दूसरी वजह यह है कि इसी वर्ष संगठन के चुनाव भी होने हैं. ऐसे में अगर नए अध्यक्ष की नियुक्ति होती भी है तो संगठन चुनाव के बाद ही नए अध्यक्ष अगर चाहेंगे तो उस स्थिति में परिवर्तन करेंगे.

चुनाव भी हैं एक वजह
पार्टी संगठन में परिवर्तन इसलिए भी होने की आसार नहीं है, क्योंकि इसी वर्ष तीन  अगले वर्ष फरवरी में दिल्ली विधानसभा के चुनाव होने हैं. ऐसे में पार्टी चाहेगी कि जो संगठन प्रभारी पहले से ही कार्य कर रहे हैं, वे उसी तरह करते रहें. पार्टी सूत्रों का बोलना है कि कार्यकारिणी में संगठन चुनाव का भी ऐलान होने कि सम्भावना है. संगठन चुनाव अगर कराए जाते हैं तो उसमें भी कम से कम छह महीने का वक्त लगेगा. कायदे से संगठन चुनाव पिछले वर्ष होने थे  जनवरी में नया अध्यक्ष चुना जाता. लेकिन लोकसभा चुनाव को देखते हुए ही पार्टी ने अमित शाह को एक्सटेंशन देते हुए चुनाव टालने का निर्णय किया था.

अमित शाह की भूमिका
शाह के गृहमंत्री बनने के बावजूद संगठन में उनका दबदबा रहेगा. माना जा रहा है कि शाह को जिस तरह से गृहमंत्री बनाया गया है, उससे यह इशारा दे दिया गया है कि लिखित में कुछ भी हो लेकिन वास्तव में शाह ही सरकार में नंबर दो होंगे. इस बार सरकार में अरुण जेटली, सुषमा स्वराज जैसे महान नहीं हैं. सिर्फ राजनाथ सिंह  नितिन गडकरी ही शाह से सीनियर हैं. चूंकि गडकरी के पास रोड ट्रांसपोर्ट मिनिस्टरी है. ऐसे में राजनाथ सिंह ही ऐसे हैं, जो सीनियर होंगे. इसका प्रभाव यह होगा कि शाह सिर्फ राजनाथ सिंह  नितिन गडकरी को छोड़कर किसी भी मंत्री को तलब कर सकेंगे. इस तरह से पीएम अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश की छवि को सुधारने के लिए काम कर सकेंगे  घरेलू मोर्चे पर उनकी गैरमौजूदगी के बावजूद सरकार का कामकाज भी प्रभावित नहीं होगा.