जहरीली शराब का कहर ले गया 82 लोगों की जान, पुलिसकर्मी हुए सस्पेंड

उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के लिए शुक्रवार का दिन बेहद ही मनहूस साबित हुआ। यहां पर जहरीली शराब मौत का कहर बनकर टूटी है। और मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। मेरठ, सहारनपुर, रुडकी और कुशीनगर में जहरीली शराब पीने से मरने वालों की कुल संख्या 82 हो गई है। जिसमें मेरठ में 19, सहारनपुर में 36, रुड़की में 20 और कुशीनगर में 8 लोगों की मौत हुई है। करीब चार दर्जन से अधिक लोग अस्पताल में भर्ती हैं। इसके अलावा कई लोगों की हालत मेडिकल अस्पताल मेरण में नजुक बनी हुई है।

जहरीली शराब ने ली 82 लोगों की जान और 30 से ज्यादा लोग अस्पताल में भर्ती

सहारानपुर के अधिकारियों के मुताबिक समारो में गए लोग वापस आए तो मौत होनी शुरू हो घई। अब तक इस मामले में 46 लोगों का पोस्टमॉर्टम हो चुका है जिसमें 36 लोगों की मौत शराब की वजह से बताई जा रही है। वहीं मेरठ में मरने वाले 18 लोग सहारनपुर से लाए गए था, जिनकी इलाज के दौरान मौत हो गई। सहारनपुर जिले के नागल, गागलहेड़ी और देवबंध थाना क्षेत्र के कई गांव में जहां देर रात शराब पीने से 44 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 30 से ज्यादा लोग अब भी अस्पताल में भर्ती हैं।

पुलिसकर्मी हुए सस्पेंड

प्रशासन की लापरवाही के लिए सरकार ने नागल थाना प्रभारी सहित दस पुलिसकर्मी और आबकरी विभाग के तीन इंस्पेक्टर व दो कांस्टेबल को सस्पेंड कर दिया है। नागल थाना प्रभारी हरीश राजपूत, एसआई अश्वनी कुमार, अय्यूब आली और प्रमोद नैन के अलावा कांस्टेबल बाबूराम, मोनी राठी, विजय तोमर, संजय त्यागी, नवीन और सौरव को सस्पेंड कर दिया गया है। वहीं आबकारी विभाग के सिपाही अरविंद और नीरज भी निलंबित किए गए हैं।

पूरे जिले में चल रही छापेमारी और खोजबीन

शुक्रवार शाम और देर रात यूपी के मुख्य सचिव और बाद में डीजीपी ने सभी जिलों के जिलाधिकारियों और पुलिस कप्तानों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए निर्देश दिए कि जहरीली शराब के मामले में पूरे जिले में छापेमारी और खोजबीन की जाए। यह अभियान आगले पंद्रह दिनों तक चलेगा जिसमें धरपकड़ के साथ-साथ अवैध शराब की भट्टियों पर छापेमारी की जाएगी। सरकार की तरफ से सात निर्देश दिए गए हैं कि जिस जिले में लापरवाही होगी वहां के पुलिस कप्तान और जिलाधिकारी को इसका खामियाजा भुगतना होगा।

अब भी थमने का नाम नहीं लेरी शराब की तस्करी

इतनी मौतें होने के बाद भी अभी शराब की तस्करी का धंधा थमने का नाम नहीं ले रहा है। उधर कुशीनगर में पुलिस और आबकारी की संयुक्त टीम ने छापा मारकर कप्तानगंज थाना क्षेत्र के एनएच 28 पर ढाबे पर खड़ी ट्रेक में भूसे में छिपाकर ले जाई जा रही शराब की 1600 पेटियां बरामद की हैं। बरामद अवैध शराब की कीमत लगभग 80 लाख रुपये से अधिक बताई जा रही है। कप्तानगंज पुलिस ने आबकारी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया है और फिलहाल शराब तस्कर फरार बताया जा रहा है।

शराब की तस्करी का सबसे बड़ा बड़ा नेटवर्क उत्तर प्रदेश में

इस घटना के सामने आने के बाद ऐसा लग रहा है कि जहरीली शराब बनाने वालों का नेटवर्क पूर्वी उत्तर प्रदेश से लेकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश तक फैला हुआ है। यह सब कुछ पुलिस की नाक के नीचे हो रहा है। जहरीली शराब जिस जगह बनाई जाती है उसकी गंध दूर-दूर तक जाती है। जब राज्य में अखिलेश यादव की सरकार थी तब भी उन्नाव और लखनऊ में जहरीली शराब पीने से 33 लोगों की मौत हो गई थी। उसके बाद सरकार और प्रशासन की ओर से बड़े-बड़े दावे किए गए थे और आदेश दिया गया था कि जिस इलाके में जहरीली शराब पाई गई वहां के पुलिस थाने के अधिकारी जिम्मेदार होंगे।