यह रेलमार्ग आउटर हिमालयन, शिवालिक हिल्स और ग्रेट हिमालयन की खूबसूरत पर्वतीय श्रृखलाओं के साथ -साथ धौलाधार, कांगड़ा, पीरपंजाल व लेह से होते हुए गुजरेगा. इतनी उचाई व खूबसूरत वादियों से गुजरने की वजह से यह रेल पर्यटकों को भी आकर्षित करेगी व इससे रेलवे के साथ- साथ राज्य की आमदनी में भी बढ़त होगी. इसके साथ ही इस रेलमार्ग के निर्माण पूरा होने के बाद चंड़ीगढ़ से लेह पहुंचना भी बहुत ज्यादा सरल व किफायती हो जायेगा.
यात्रियों और पर्यटकों के अतिरिक्त यह रेलमार्ग इंडियन सेना के जवानों के लिए भी बेहद जरूरी शाबित होगा. इस रेलमार्ग के जरिये इंडियन सेना ट्रैन के जरिये अपने भारी हथियार वअन्य सुरक्षा उपकरण लेह की दुर्गम उचाईयों वाली पहाड़ियों पर सरलता से पंहुचा पायेगी. अभी ऐसे इलाको तक पहुंचने के लिए सेना के पास अभी सिर्फ हेलीकाप्टर से सामान पहुंचाना ही एकमात्र विकल्प है. फिल्हाल इस इलाके में रेल लाइन भानूपाली रेलवे स्टेशन तक ही गई है जो लेह से 475 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.