पानी ना मिलने से होने वाली दुर्दशा के चलते अब यह वरिष्ठ नागरिक परेशानियों के सुनामी से घिर गए हैं। बहरहाल, यह चेन्नई में रहने वाले एक बुजुर्ग की कहानी नहीं है। पानी की किल्लत से जूझ रहे चेन्नई मेट्रो के हर घर में कमोबेस यही हालत है। इस वर्ष पानी की किल्लत की एक खास बात ये भी है कि इसने आम नागरिकों के साथ कॉर्पोरेट जगत के लोगों को भी बराबर परेशान कर रखा है।
हाल ही में चेन्नई स्थित कई आईटी कंपनियों ने पानी ना होने के चलते अपने कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम करने को कहा। इतना ही नहीं शहर में स्थित कई गेस्ट हाउस व होटलों ने यात्रियों की बुकिंग लेने से मना कर दिया है। उनके पास इतना भी पानी नहीं है कि होटल में आने वाले मेहमानों की आवश्यकता भर की पानी की आपूर्ति कर दें। कई रेस्टोरेंट ने अपने मेन्यू से दोपहर के खानों को हटा दिया है। वे अब महज ऐसे खाने परोस रहे हैं, जिनमें पानी ना के बराबर प्रयोग होता हो।
25 दिन से कम नहीं पहुंच पा रहे लोगों तक वाटर टैंकर
इन दिनों चेन्नई की सड़कों पर वाटर टैंकरों के सामने लंबी कतारें व लाटरी सिस्टम में कुंवों से पानी निकालने के लिए लगी कतारों को देख सकते हैं। चेन्नई की मौजूदा परिस्थितियों में लोग अपनी दिनचर्या के कामों के लिए वाटर टैंकर बुक करने के लिए विवश हैं। लेकिन लोगों की बुक की हुई वाटर टैंकर पहुंचने में भी 25 दिन से कम नहीं लग रहे हैं।
20 हजार रुपये की सैलरी बस पानी पर बहा रहे हैं हुसैन
700 वाले वाटर टैंकर के बदले वसूले जा रहे हैं 4000 रुपये
चेन्नई में अभी वाटर टैंकरों का आलम ये है कि सरकारी वाटर सप्लायरों की कोई गारंटी नहीं है कि वे पानी टैंकर महीने भर में पहुंचा ही देंगे। इसके अतिरिक्त जो प्राइवेट वाटर सप्लायर हैं वे भी 15 दिन से पहले वाटर टैंकर पहुंचाने में समर्थ नहीं हैं। बल्कि जो 9000 लीटर की वाटर टैंकर आमतौर पर 700 से 900 रुपये में मिला करता था, उसी टैंकर के लिए प्राइवेट वाटर सप्लायर लोगों से 4000 से 5000 रुपये तक वसूल रहे हैं। इसके बाद भी वो लोगों से कम से कम दो हफ्ते का इंतजार करने को कह रहे हैं।