चुनाव से पहले मायावती ने किया ये बड़ा बदलाव, इतने नेताओ को किया…

बसपा के इन दोनों नेताओं को मायावती का करीबी माना जाता था, जिसके चलते पार्टी में इनका कद काफी बड़ा था. रामअचल राजभर बसपा सरकार में महत्वपूर्ण विभागों के मंत्री रहे हैं.

 

इसके अलावा वो लंबे समय तक पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और राष्ट्रीय महासचिव की जिम्मेदारी को भी निभाया. वहीं, लालजी वर्मा भी अहम मंत्रालय की जिम्मेदारी संभालते रहे हैं और बसपा विधायक दल के नेता थे. वहीं, मायावती ने आजमगढ़ जिले के मुबारकपुर विधानसभा सीट से विधायक शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को बसपा विधानमंडल दल का नेता नामित किया है.

मायावती पांच चार साल में अपने 11 विधायकों को बसपा से बाहर का रास्ता दिखा चुकी है, जिसके चलते पार्टी के पास महज सात विधायक ही बचे हैं. हालांकि, मायावती हर चुनाव से पहले अपने कुछ नेताओं को बाहर का रास्ता दिखाती रही हैं, लेकिन इस बार उन्होंने अपने सबसे मजबूत सिपहसलार पर गाज गिराई है.

मायावती के इस एक्शन से पार्टी के सामने ओबीसी समुदाय को साधने की चुनौती खड़ी हो गई है, क्योंकि फिलहाल पार्टी में ओबीसी समुदाय का कोई बड़ा नेता नहीं बचा है पार्टी के पास.

रामअचल राजभर और लालजी वर्मा बसपा के संस्थापक सदस्यों में से थे और कांशीराम के समय से पार्टी में जुड़े हुए रहे थे. दोनों ही नेतातों के बसपा से निष्कासित करने की कार्रवाई के बाद पत्र जारी कर कहा है कि इन्हें अब पार्टी के न तो किसी कार्यक्रम में बुलाया जाएगा और न ही बसपा की तरफ से कभी चुनाव लड़ाया जाएगा. इन दोनों दिग्गज नेताओं को पार्टी से निकाले जाने के बाद यूपी की राजनीति में सरगर्मियां और तेज हो गई हैं.

बसपा प्रमुख मायावती के कहर का शिकार कब, कौन, कहां और कैसे हो जाए कहा नहीं जा सकता. मायावती ने तो उन नेताओं को भी नहीं बख्शा, जिन्हें उनका करीबी माना जाता था. पार्टी में जिस नेता पर माया की नजर टेढ़ी हुई, उसे बाहर जाना ही पड़ा है.

इसमें फिर चाहे उनके मजबूत सिपहसलार हो या फिर पार्टी संस्थापक कांशीराम के साथी. इस बार उन्होंने पार्टी में बड़ी कार्रवाई करते हुए बसपा विधानमंडल दल के नेता लालजी वर्मा और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व राष्ट्रीय महासचिव राम अचल राजभर को बसपा से निष्कासित कर दिया है.