चुनाव प्रचार में नेताओं की भाषा का स्तर गिर रहा है? कौन कितना जिम्मेदार है, PM मोदी

लोकसभा चुनाव 2019 पूरी तरह पीएम नरेंद्र मोदी पर केंद्रित हो गया है. एक ही मुद्दा है- मोदी लाओ या मोदी हटाओ. लेकिन, पीएम मोदी खुद ऐसा नहीं मानते. वे साफ कहते हैं कि चुनाव राष्ट्र की जनता पर केंद्रित है. विश्वास  सकारात्मकता के साथ आकांक्षाओं को पूरा करने का चुनाव है. विपक्षी उन पर निशाना इसलिए साध रहे हैं कि किसी भी दल के पास राष्ट्र को लेकर कोई स्पष्ट नजरिया है ही नहीं. कांग्रेस पार्टी की ‘न्याय’ योजना पर वे कहते हैं कि उन्होंने खुद मान लिया कि नेहरू, इंदिरा से लेकर मनमोहन गवर्नमेंट तक जनता से न्याय नहीं हुआ. इस महापर्व में अपनी जीत को लेकर पूरी तरह आश्वस्त पीएम मोदी ने डॉ इंदुशेखर पंचोली के साथ विस्तृत वार्ता में अगले पांच वर्ष के लक्ष्य भी गिनाए. कहा- तेज विकास के साथ हमारा लक्ष्य 2025 तक राष्ट्र की इकोनॉमी फाइव ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचाने का है

तब आक्रोश का चुनाव था, अब आकांक्षाओं का है

– लोकसभा चुनाव 2019 आप पर केंद्रित है. इंदिरा गांधी के बाद आप पहली शख्सियत हैं, जिनके इर्द-गिर्द चुनाव लड़ा जा रहा है?
जी नहीं, ये चुनाव राष्ट्र की जनता पर केंद्रित है, उनकी आशाओं  आकांक्षाओं के लिए है. देखिए, पांच वर्ष राष्ट्र ने प्रगति की है. अब हमें सोचना है कि हमें आगे जाना है या फिर पीछे? एक दल है जो राष्ट्र को आगे ले जाना चाहता है, तो दूसरी तरफ बाकी सारे दल हैं जो राष्ट्र को पीछे ले जाना चाहते हैं. तो क्या राष्ट्र वापस से पीछे जाना चाहेगा? ये चुनाव न्यू इंडिया पुराने तौर-तरीकों के बीच है. ये चुनाव दल प्रेम  राष्ट्र प्रेम के बीच है. ये चुनाव ‘इंडिया फर्स्ट  फेमिली फर्स्ट’ के बीच है. ये चुनाव बढ़ते हिंदुस्तान  बढ़ते करप्शन के बीच है. ये चुनाव परफॉर्मेन्स की पॉलिटिक्स  प्रोमिसेज की पॉलिटिक्स के बीच है. 2014 का चुनाव आक्रोश का चुनाव था- भ्रष्टाचार, परिवारवाद, पॉलिसी पैरालिसिस के विरोध में आक्रोश था. राष्ट्रका स्वाभिमान नीचा था, राष्ट्र की निर्बल छवि को लेकर लोगों में ग्लानि थी, आक्रोश था. 2019 का चुनाव विश्वास  सकारात्मकता के साथ आकांक्षाओं को पूरा करने का है. आज राष्ट्रजबर्दस्त आत्मविश्वास से भरा हुआ है. राष्ट्र को लगता है कि नामुमकिन अब मुमकिन है. 2014 से 2019 का समय राष्ट्र की आवश्यकताओं को पूरा करने का था, 2019 से आगे का समय राष्ट्र की आकांक्षाओं को पूरा करते हुए विश्व में हिंदुस्तान का डंका बजाने का होगा.– पूरे चुनाव में दो ही बातें हैं, ‘मोदी लाओ-मोदी हटाओ.’ आपको रोकने के लिए ही सारे गठजोड़ हो रहे हैं? बीजेपी भी चाहती है कि चुनाव आपके ही व्यक्तित्व पर केंद्रित हो जाए?

जब मोदी लाओ की बात होती है, तो सामान्य आदमी के दिल में यह बात होती है कि पिछले पांच वर्षों में जो गवर्नमेंट चली है, उसे वापस लाओ. आतंकवाद पर हिंदुस्तान में जो मुहिम चली है, उसे वापस लाओ. तेज गति से गरीबी कम होने का जो अभियान चला है, उसे वापस लाओ. किसानों के लिए जो कल्याणकारी कार्य हुए है, उन्हें वापस लाओ. गरीब माता-बहनों के ज़िंदगी में परिवर्तन लाने की मुहिम को वापस लाओ. ‘मोदी लाओ’ के पीछे यही मिशन है. विपक्ष नहीं बताता है कि क्या लाओ, क्यों लाओ, कैसे लाओ- इसलिए वे केवल हटाओ की बात करते हैं.

– ऐसा नहीं लगता कि चुनाव मूलभूत मुद्दों से भटक रहा है?

यदि आप मेरे भाषणों को देखें, तो पाएंगे कि मेरे सम्बोधन इन्हीं मुद्दों के लिए समर्पित होते हैं, हालांकि वो बातें कभी हेडलाइंस नहीं बनती हैं. मेरी किसी भी रैली का सम्बोधन सुनिए, आज मैंने मुरादाबाद में छोटे उद्योगों से लेकर सरकार ई-मार्केट प्लेस, किसान कल्याण से लेकर गरीबों के उत्थान की बातें की हैं. मेरे भाषणों में विज्ञान की भी बातें होती हैं, न्यू इंडिया की बातें होती हैं, मेक इन इंडिया की बातें होती हैं, राष्ट्र की सुरक्षा की बातें होती हैं, लोगों की आकांक्षा की बातें होती हैं. हम विकास की बात करते हैं, वे विनाश की बात करते हैं. आप बताइये हर दिन, एक नए झूठ का शगूफा कौन छोड़ता है? वे जनता को मुद्दों से भटकाने का कुत्सित कोशिश कर रहे हैं, लेकिन मैं आपको इतना बता देना चाहता हूं कि राष्ट्र की जनता बहुत समझदार है, अब वह इनके मायाजाल में नहीं फंसने वाली है. राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला भी विकास से जुड़ा है. इस पर बोलना भी राष्ट्र के विकास की बात करना ही है. हमारे सारे निवेश, पर्यावरण, आर्थिक समृद्धि, यह सभी इस बात पर सबसे पहले निर्भर करता है कि हम कितने सुरक्षित हैं. आप विकास का सपना नहीं देख सकते, जब राष्ट्र में बम धमाकों का भयहो, असुरक्षा का माहौल हो. कांग्रेस पार्टी  उनके साथी यह जानते हैं कि विकास के मुद्दे पर हमारा मुकाबला नहीं कर सकते, इसलिए बहस का स्तर नीचे ले जाने के लिए मुझे या सेना को अपमानित करते हैं.

-भाजपा संकल्प लेटर को लेकर कितनी गंभीर है? किसान सम्मान निधि का दायरा बढ़ाना, छोटे किसान/व्यापारी पेंशन, ये सब ‘न्याय’ का जवाब तो नहीं?

खुशी है, कांग्रेस पार्टी ने माना कि उन्होंने जनता के साथ न्याय नहीं किया. आप बीजेपी का  कांग्रेस पार्टी का घोषणापत्र देख लीजिए. आप महसूस करेंगे कि एक संकल्पपत्र है उस पार्टी का, जो गंभीरता से जिम्मेदारी पूर्वक राष्ट्र को चलाना चाहती है. दूसरी तरफ, कांग्रेस पार्टी को पता है वो सत्ता में आने वाली नहीं है, इसलिए उन्होंने केवल झूठे वादों की घोषणाएं की हैं.हमारा संकल्प पत्र, सुशासन लेटर भी है, देश की सुरक्षा का लेटर भी. हमारा संकल्प लेटर राष्ट्र-समृद्धि का लेटर भी है.

आपको यह भी जानना पड़ेगा कि हमारा संकल्प लेटर तैयार कैसे हुआ है. करीब छह करोड़ लोगों के सुझाव इकट्ठा किए गए, सुझाव-पेटी, ई-मेल्स, वेबसाइट, फोन-कॉल्स, व्हाट्स-अप, संकल्प रथ  विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से लोगों के सुझाव आए, जबकि बाकी पार्टियों के घोषणापत्र तो चार-पांच लोगों ने एसी कमरे में बैठकर बनाए हैं. हमने राष्ट्र की सुरक्षा, राष्ट्र की समृद्धि  राष्ट्र के 130 करोड़ जनता की खुशहाली लाने के लिए संकल्प लेटर बनाया है. कांग्रेस कह रही है -अब होगा न्याय. मुझे खुशी है, उन्होंने माना कि पंडित नेहरू की सरकार, इंदिरा गांधी की सरकार, राजीव गांधी की गवर्नमेंट  रिमोट कंट्रोल से चलने वाली मनमोहन सिंह की सरकारों ने अब तक राष्ट्र के लोगों के साथ अन्याय किया था.

इस नामदार परिवार ने ‘गरीबी हटाओ’ का नारा देकर ही तो गरीबों के वोट हड़पे. भाई, आप आजादी के 70 वर्षों में गरीबी नहीं हटा पाए  अब कहते हो कि अब होगा न्याय! जनता कह रही है, राष्ट्र से कांग्रेस पार्टी हटेगी, तब हटेगी गरीबी  तभी हो पाएगा न्याय. ओबीसी कमीशन को संविधानिक दर्जा देने का मामला 1955 से पेंडिंग था, आपने न्याय किया क्या? 40 सालों से ओआरओपी पेंडिंग था, आपने न्याय किया क्या? 26/11 के बाद वायुसेना स्ट्राइक करना चाहती थी, आपने कार्रवाई करने का आदेश देकर न्याय किया क्या? सेना बार-बार लड़ाकू विमान, बुलेट-प्रूफ जैकेट  अन्य हथियारों की मांग कर रही थी, आपने उन मांगों को पूरा कर राष्ट्र की सेना के साथ न्याय किया क्या? अंतरिक्ष से लेकर पाताल तक घोटाले कर अपना घर भरकर राष्ट्र की जनता के साथ न्याय किया क्या? 84 में सिख दंगों के आरोपियों को सजा दिलाकर सिख भाइयों के साथ न्याय किया क्या? कश्मीरी पंडितों के साथ न्याय किया क्या? जम्मू व कश्मीर को विवादित बनाकर हिंदुस्तान के साथ न्याय किया क्या? ये लिस्ट बहुत लंबी है, इनके अन्याय की गिनती हज़ारों-लाखों में जायेगी  ये कहते हैं कि अब होगा न्याय.

हर दिन पानी पी-पीकर मोदी को नई-नई गाली कौन दे रहा है? ऐसी-ऐसी गालियां दी जा रही हैं साहब कि आप बंद कमरे में भी उन शब्दों को नहीं बोल सकते. जिस पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष जो अपने एम फिल की डिग्री दिखाता है, जो पीएम पद का सपना पाले बैठा नामदार है, वह ऐसी-ऐसी अभद्र भाषा का इस्तेमाल कर रहा है कि शर्म को भी शर्म आ जाए. मोदी तो पिछले 17 वर्ष से इन लोगों की गालियां सुन-सुनकर गाली-प्रूफ हो गया है.

जवानों की जान जोखिम में हो तो चैन से कैसे बैठूं

– पाक के विरूद्ध सर्जिकल/एयरस्ट्राइक से माहौल बदला है? कितना कठिन था ये निर्णय लेना?

जब रक्षा  हिंदुस्तान के नागरिकों की सुरक्षा की बात आती है, तो कठिन निर्णय भी लेने पड़ते हैं. मुझे हमारे सशस्त्र बलों की क्षमता पर पूरा विश्वास है. लेकिन, जब हमारे जवानों की जान जोखिम में होती है, तो मेरे लिए बहुत ही चिंता की बात होती है. मैं तब-तक चैन से नहीं बैठ सका, जब तक ये समाचार नहीं आ गई कि हमारे जवानों ने ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम दे दिया है  सभी सकुशल वापस लौट आए हैं. यदि हमें मजबूर किया गया कि हमें अपने लोगों को सुरक्षित रखने के लिए जंग वहां तक ले जानी है, जहां आतंकियों को तैयार किया जाता है तो हम यह करने के लिए तैयार हैं. इसके उलट जब मुंबई में सैकड़ों लोग आतंकियों द्वारा मार दिए गए, तबकी गवर्नमेंट ने इस बारे में कुछ नहीं किया. यह हमारे  उनके एप्रोच का अंतर है. आतंक के मामले में हमारी नीति जीरो टोलरेंस की रही है. इंडियन नागरिकों की रक्षा एवं सुरक्षा से कोई समझौता संभव नहीं है. यह हमारा मार्गदर्शक मूल्य है. हम भविष्य में भी अपने 130 करोड़ नागरिकों की सुरक्षा के लिए जो भी कदम आवश्यक होगा उठाएंगे.

– फारुक अब्दुल्ला ने तो आपको पाकिस्तानी करार दे दिया?

दुश्मनों को भय सताए तो यह भय अच्छा है

– पाक के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी को संभावना है कि हिंदुस्तान फिर हमला करेगा,  पाकिस्तानी पीएम कहते हैं कि मोदी फिर जीतते हैं, तो वार्ता अच्छी होगी. यह खेल क्या है? कैसे देखते हैं?

पाक का प्रोपेगेंडा क्या है, यह मेरे लिए ज्यादा अहमियत नहीं रखता है. हालांकि मैं कहना चाहता हूं कि जब शत्रु राष्ट्र को  आतंकियों को भय सताए, तो ये भय अच्छा है. हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि इमरान खान एक क्रिकेटर थे  उनका हालिया बयान इंडियन चुनाव को प्रभावित करने के लिए रिवर्स स्विंग बॉलिंग का कोशिश है. लेकिन, इंडियन यह भलीभांति जानते हैं कि रिवर्स स्विंग बॉल पर किस तरह हेलिकॉप्टर शॉट मारा जाता है. हमें यह भी याद रखना चाहिए कि उन्होंने नवाज शरीफ को किस तरह निशाना बनाया था. पाक में चुनाव के समय उनका नारा था : ‘मोदी का जो यार है, वो गद्दार है, वो गद्दार है’

– पुलवामा हमले / एयर स्ट्राइक पर विपक्ष ने सवाल उठाए हैं, सेना के राजनीतिकरण के भी आरोप लगे हैं. आप पर भी आरोप हैं.

क्या हमें आतंकियों के विरूद्ध राष्ट्र की कार्रवाई पर गर्व नहीं करना चाहिए? क्या हमें इस बात पर गर्व नहीं करना चाहिए कि हिंदुस्तान ने वह हासिल किया है, जो संसार के बहुत कम राष्ट्र हासिल कर सके हैं? आखिरकार विपक्ष को राष्ट्र की इस उपलब्धि से क्या समस्या है? पिछले कुछ दिनों में मैंने देशभर का दौरा किया है  देखा है कि बालाकोट में जो कुछ भी हुआ, उसे लेकर पूरा राष्ट्र बेहद गौरवान्वित महसूस कर रहा है. इसके बाद भी कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष के सबसे करीबी सलाहकार, उनके गुरु ने बोला है कि हमें आतंकवादी हमले के जवाब में कोई कार्रवाई नहीं करनी चाहिए. अगर कोई  जिम्मेदार पार्टी होती तो इस प्रकार का बयान देने वाले आदमी को तत्काल हटा दिया जाता या निलंबित कर दिया जाता. लेकिन, यह कांग्रेस है, जहां इस तरह के नेताओं को प्रमोट किया जाता है. वैश्विक शांति को सुनिश्चित करने की गारंटी है ताकतवर भारत. इसका मतलब है कि अगर हिंदुस्तान ताकतवर है तो शांति की भी गारंटी है. हिंदुस्तान को  सुरक्षित और शक्तिशाली देश बनाना हमारा संकल्प है. कांग्रेस पार्टी शासन में वोट बैंक के चलते सेना के हाथ बांध रखे थे. गवर्नमेंट का हित राष्ट्रहित  सेना दोनों पर हावी था. इसे कहते हैं सेना का राजनीतिकरण. आज तो सेना हर दबाव, हर बंधन से मुक्त है.

– ए-सैट की उपलब्धि पर आपके संबोधन पर भी सवाल उठे हैं?

इस पर बहस निरर्थक है. चुनाव आयोग ने जांच कर के इस बारे में क्लीन चिट दे दी है. मैं वास्तव में विपक्ष के नैतिक दिवालियेपन पर दंग हूं. हिंदुस्तान ऐसी ताकत रखने वाला विश्व का चौथा राष्ट्र बन गया, पूरा राष्ट्र इस उपलब्धि पर गर्व कर रहा था, सिर्फ विपक्ष को छोड़कर. किसी ने बोला कि सिर्फ एक सैटेलाइट को मार गिराया, किसी ने बोला कि हमें इसे सीक्रेटरखना चाहिए था. राष्ट्र के वैज्ञानिकों ने बोला कि उनके पास यह क्षमता थी, लेकिन उन्हें यूपीए गवर्नमेंट से कभी भी इसकी मंजूरी नहीं मिली. अगर चिंता का कोई कारण है तो यह है. मैं इस बात की उम्मीद नहीं करता कि मेरी जीत पर विपक्ष खुश हो, लेकिन, जब वैश्विक मंच पर हिंदुस्तान का दबदबा बढ़ रहा है तो कम से कम इस बात से तो उन्हें खुश होना चाहिए.आखिर हिंदुस्तान का दबदबा बढ़ने से उन्हें क्या दिक्कत है?