चीन से निपटने की तैयारी में जुटा ये देश , दागी मिसाइल

आकाश प्रक्षेपास्त्र की एक बैटरी में तीन-तीन मिसाइलों के साथ चार लांचर हैं, जो सभी एक दूसरे से जुड़े हैं। प्रत्येक बैटरी 64 लक्ष्यों तक को ट्रैक कर सकती है और उनमें से 12 तक पर हमला कर सकती है।

 

आकाश प्रणाली पूरी तरह से गतिशील है और वाहनों के चलते काफिले की रक्षा करने में सक्षम है। लांच प्लेटफार्म को दोनों पहियों और ट्रैक वाहनों के साथ एकीकृत किया गया है जबकि आकाश सिस्टम को मुख्य रूप से एक हवाई रक्षा (सतह से हवा) के रूप में बनाया गया है। इसे मिसाइल रक्षा भूमिका में भी टेस्ट किया गया है।

आकाश मीडियम रेंज की हवा में मार करने वाली मिसाइल है। इसे डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन, भारत डायनेमिक्स और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स ने तैयार किया है।

यह मिसाइल प्रणाली दुश्मन के विमान को 30 किमी. दूर व 18 हजार मीटर ऊंचाई तक टारगेट कर सकती है। इसमें लड़ाकू जेट विमानों, क्रूज मिसाइलों और हवा से सतह वाली मिसाइलों के साथ-साथ बैलिस्टिक मिसाइलों जैसे हवाई लक्ष्यों को बेअसर करने की क्षमता है। यह भारतीय थल सेना और भारतीय वायु सेना के साथ परिचालन सेवा में है।

मिसाइल दागने की क्षमता के परीक्षण के वक्त इस बात का ध्यान रखा गया कि संघर्ष बढ़ने की सूरत में अगर दुश्मन के विमान भारतीय वायु सीमा का उल्लंघन करें तो उन्हें हर परिस्थिति में मार गिराया जाए।

इसके साथ ही कंधे पर रखकर हवा में मार करने वाली इग्ला मिसाइलों का भी परीक्षण किया गया। डीआरडीओ निर्मित यह प्रणाली ​​दुश्मन के लड़ाकू विमानों का 30 किलोमीटर पहले ही पता लगाकर उसे नीचे ला सकती है।

भारत अब चीन की हर चाल पर नजर बनाये हुए है और उसकी हर चाल को नाकाम करने के लिए पूरी तरह से तैयार है। इसके लिए चीन के साथ तनाव की शुरुआत के समय से ही पूर्वी लद्दाख सीमा पर भारत ने स्वदेश निर्मित आकाश एयर डिफेंस सिस्टम तैनात कर रखा है।

इसी बीच भारतीय वायुसेना ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर शुक्रवार को 10 आकाश मिसाइलें दागीं। यह मिसाइल दुश्मनों के विमानों को चंद मिनटों में मार गिराने में सक्षम हैं।