चीन को जवाब देने के लिए भारतीय सैनिकों को मिली ये खुली छूट, इस्तेमाल करेंगे करने को कहा ये हथियार

चीन से साफ कहा गया है कि उसके सैनिक पहले आगे आए हैं, इसलिए पीछे जाने की शुरुआत भी चीन को ही करनी पड़ेगी लेकिन चीन अभी तक यही मानने को तैयार नहीं है कि वह पहले आगे आए हैं। बैठक में भारत का साफ कहना था कि एलएसी पर पहले वाली स्थिति बहाल होनी चाहिए।

 

इसलिए चीन इस साल जनवरी से लेकर मई की शुरुआत तक की कोई भी तारीख तय कर लें। हम उसी तारीख को एलएसी की स्थिति बहाली के लिए मान लेंगे। दरअसल चीन ने मई के पहले हफ्ते से एलएसी की यथास्थिति एकतरफा बदलने की शुरुआत की थी।

लगभग 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सबसे ज्यादा पूर्वी लद्दाख में चीन ने तनाव के हालात पैदा किये हैं। 1993 के समझौते में कहा गया था कि दोनों ओर से पेट्रोलिंग में सैनिकों की संख्या 15-20 होनी चाहिए लेकिन चीन ने ही इस प्रोटोकॉल को तोड़कर 50 से 100 सैनिक लाने शुरू किये थे। मई से लेकर अब तक धीरे-धीरे करके सीमा पर हजारों सैनिकों का जमावड़ा कर लिया है।

इस मैराथन बैठक में भारत ने पूर्वी लद्दाख के डेप्सांग मैदानी क्षेत्र, पैन्गोंग झील और गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स एरिया से पीछे हटने को कहा।दूसरी तरफ चीन पैन्गोंग झील के दक्षिण किनारे की उन अहम 20 चोटियों से भारतीय सैनिकों को हटाने पर अड़ा है जिन्हें भारत ने इसी माह अपने नियंत्रण में लिया है।

हालांकि बैठक में ही भारत के अधिकारियों ने चीन की यह बात यह कहकर सिरे से ख़ारिज कर दी थी कि यह पहाड़ियां भारतीय क्षेत्र में ही हैं। भारत ने एलएसी पार करके किसी पहाड़ी को अपने नियंत्रण में नहीं लिया है, इसलिए यहां से भारतीय सैनिकों की तैनाती नहीं हटेगी।

​भारत चाहता है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर पूर्वी लद्दाख में सभी जगह से सैनिकों को हटाने का रोडमैप तैयार किया जाए लेकिन चीन इस पर तैयार नहीं है। ​

भारत और चीन के बीच 14 घंटे की बैठक के बाद भी ​जमीनी हालात ​नहीं बदले ​हैं। दोनों देशों के बीच 10 दिनों के भीतर सातवें दौर की सैन्य वार्ता की तैयारी है लेकिन चीन ने अभी तक पीछे हटने के संकेत नहीं दिए हैं।

भारत चाहता है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर पूर्वी लद्दाख में सभी जगह से सैनिकों को हटाने का रोडमैप तैयार किया जाए लेकिन चीन इस पर तैयार नहीं है। छठे दौर की बैठक में दोनों पक्ष मोर्चे पर अतिरिक्त सैनिकों को न भेजने पर सहमत हुए हैं, फिर भी जारी सैन्य टकराव में कमी आती नहीं दिख रही है।

इसलिए दोनों सेनाओं के कठोर सर्दियों में भी सीमा पर बने रहने के आसार हैं। इसी बैठक में भारत ने चीन से साफ तौर पर कह दिया है कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) को कोई आक्रामक कार्रवाई नहीं करनी चाहिए अन्यथा भारतीय सैनिक खुद की रक्षा के लिए गोली भी चला सकते हैं।

इस माह में अब तक सीमा पर तीन बार फायरिंग हो चुकी है लेकिन अब भारत ने चीन से साफ तौर पर कहा है कि उसके सैनिक खुद को और अपनी स्थिति ब​​चाने के लिए सभी उपाय करेंगे, जिसमें गोली चलाना भी शामिल है।

अब गलवान घाटी जैसी घटना बर्दाश्त नहीं की जाएगी और ​जरूरत पड़ने पर अब किसी भी तरह के संघर्ष ​का मुकाबला ​भारत के सैनिक करेंगे​।​ इस घटना में 20 जवान खोने के बाद भारत ने भी अपने सैनिकों को खुली छूट दे दी थी​ जिसका इस्तेमाल किसी भी विषम परिस्थितियों में किया जायेगा।