चीन शांतिपूर्ण विकास के रास्ते पर कायम, भारत से तीन गुना ज्‍यादा हुआ चीन का डिफेंस बजट

चीन ने साल 2019 के लिए अपने रक्षा बजट में 7.5 फीसदी की बढ़त की है. चीन के नेशनल पीपल्स कांग्रेस (एनपीसी) के सालाना सत्र में पेश ड्राफ्ट बजट रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है. एनपीसी की शुरुआत मंगलवार को हुई.

साल 2019 के लिए चीन ने 1.19 लाख करोड़ युआन (करीब 177.61 अरब डॉलर) का प्रतिरक्षा बजट पेश किया है. हालांकि, चीन सरकार का कहना है कि इस बार के रक्षा बजट में कम बढ़त की जा रही है. चीन सरकार के मुताबिक साल 2018 के प्रतिरक्षा बजट में 8.1 फीसदी की बढ़त की गई थी.

चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शि‍नहुआ के मुताबिक, चीन के रक्षा बजट को वाजिब और उपयुक्त बताते हुए 13वें एनपीसी के प्रवक्ता झांग येसुई ने कहा कि इस बढ़त का उद्देश्य ‘चीनी विशेषताओं के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा और सैन्य सुधारों की देश की मांग को पूरा करना है.’

प्रवक्ता ने कहा कि यह रक्षा खर्च राष्ट्रीय संप्रभुता, सुरक्षा और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करने के लिए है, न कि किसी और देश को खतरा पैदा करने के लिए. येसुई ने कहा, ‘चीन शांतिपूर्ण विकास के रास्ते पर कायम रहेगा और ऐसी रक्षा नीति अपनाएगा जो कि रक्षात्मक प्रकृति की होगी.’

उन्होंने कहा, ‘कोई देश किसी और के लिए सैन्य खतरा है या नहीं, यह उसके रक्षा बजट में बढ़त से तय नहीं होता, बल्कि उसके द्वारा अपनाई जाने वाली राजनयिक और राष्ट्रीय रक्षा नीति से.’

करीब पांच साल तक प्रतिरक्षा बजट में दो अंकों की बढ़त के बाद चीन साल 2016 से अपने राष्ट्रीय रक्षा बजट में एक अंक की बढ़ोतरी कर रहा है. साल 2016 में उसके प्रतिरक्षा बजट में 7.6 फीसदी की बढ़त हुई थी, इसके बाद साल 2017 में 7 फीसदी और साल 2018 में 8.1 फीसदी की बढ़त की गई थी.

झांग ने दावा किया, ‘कई बड़े देश अपने जीडीपी के 2 फीसदी तक प्रतिरक्षा पर खर्च करते हैं, जबकि चीन ने साल 2018 में अपने जीडीपी का सिर्फ 1.3 फीसदी ही रक्षा पर खर्च किया था.’

चीन का साल 2018 का रक्षा बजट करीब 175 अरब डॉलर का था जो कि भारत के रक्षा बजट का करीब तीन गुना था. दूसरी तरफ, अमेरिकी कांग्रेस ने वित्त वर्ष 2019 के लिए 717 अरब डॉलर का भारी-भरकम प्रतिरक्ष बजट मंजूर किया था.

भारत का पिछले साल रक्षा बजट 2.98 लाख करोड़ रुपये था, जबकि इस साल उसमें 6.87 फीसदी की बढ़त करते हुए 3.18 लाख करोड़ रुपये तय किया गया है. चीन ने हाल के वर्षों में अपनी सेना में कई बड़े बदलाव किए हैं, जिनमें नेवी और एयर फोर्स का विस्तार शामिल है. दूसरी तरफ, थल सेना यानी पीपल्स लिबरेशन ऑर्मी (PLA) के सैनिकों की संख्या में करीब 3 लाख तक की कटौती की गई है. इस कटौती के बावजूद चीन की थल सेना दुनिया की सबसे बड़ी सेना है जिसके पास करीब 20 लाख सैनिक हैं.