चीन ने दिखाई इस देश को आँख, छोड़ सकता है मिसाइल

पाकिस्तान के सुरक्षा और विनिमय आयोग द्वारा की गई जांच में बिजली क्षेत्र में 1.8 अरब डॉलर से अधिक की अनियमितता पाई गई, जिसमें 16 चीनी कंपनियां सीपीईसी में शामिल थीं।

 

ये कंपनियां अनुचित सब्सिडी प्राप्त कर रही हैं और राष्ट्रीय खजाने को भारी वित्तीय नुकसान पहुंचा रही हैं। एशिया टाइम्स के अनुसार चीन की वैश्विक उधार रणनीति में बदलाव के पीछे अमेरिका के साथ जारी व्यापार युद्ध एक और बड़ा कारण हो सकता है।

एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान में हाल के कुछ वर्षों में सामने आए हाई-प्रोफाइल करप्शन स्कैंडल सहित अन्य कारणों की वजह से चीन को अपनी प्रमुख परियोजनाओं से दूर रहने के लिए मजबूर किया है।

बोस्टन विश्वविद्यालय के शोध ने भी इसकी पुष्टि की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बीजिंग इस तथ्य पर विशेष रूप से नाराज है कि परियोजनाओं में शामिल चीनी कंपनियां विभिन्न भ्रष्टाचार घोटालों में विशेष रूप से बिजली क्षेत्र में खुद को उलझाए हुए हैं।

एशिया टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार इस वित्तीय वर्ष की तीसरी तिमाही तक CPEC के तहत 122 परियोजनाओं में से केवल 32 पूरी हुई हैं। न केवल पाकिस्तान, अन्य देशों के लिए भी चीन के BRI उधार में पिछले कुछ वर्षों में काफी गिरावट देखी गई है।

बोस्टन विश्वविद्यालय के आंकड़ों के अनुसार राज्य समर्थित चीन डेवलपमेंट बैंक और एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट बैंक ऑफ चाइना द्वारा 2016 में कुल ऋण 75 अरब डॉलर से घटकर पिछले साल केवल 4 बिलियन डॉलर हो गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020 के अनुमानों से पता चलता है कि यह राशि आगे बढ़कर 3 बिलियन डॉलर हो गई है।

पाकिस्तान में लगातार सामने आ रहे घोटालों, बढ़ रहे ऋण और सुरक्षा के कारण से बढ़ रही लागत की वजह से चीन अब अपने इस खास दोस्त को एक बड़ा झटका देने जा रहा है।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अरबों की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) परियोजना पर पाक को बड़े-बड़े सपने दिखा कर चीन अब अपना हाथ झटक रहा है। CPEC के कई महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट अब या तो ठप्प हो गए हैं या तय समय से पीछे चल रहे हैं। चीन ने बहुत तेजी से अपने खर्चों में कटौती की है।