चीन के खिलाफ हुआ ये सारे देश, शुरू हुआ युद्ध, नेटवर्क बना रहे…

इस दौरे में मकसद के हिसाब से नेपाल को कोरोना से निपटने के लिए दवाइयां और वैक्सीन के रूप में मदद करने का वादा भारत ने किया. इसके साथ ही, चीन के बेल्ड एंड रोड इनिशिएटिव के जवाब में भारत ने नेपाल में अपने इन्फ्रास्ट्रक्चर संबंधी प्रोजेक्टों को और बढ़ाने और निवेश का भरोसा भी नेपाल को दिया.

 

नेपाल के साथ रिश्ते सुधारने की कवायद कोविड 19 के दौर में लद्दाख बॉर्डर पर चीन के साथ तनाव की स्थिति बनी, तो दूसरी तरफ, दोहरा संकट इसलिए पैदा हो गया था क्योंकि लिम्प्याधुरा कालापानी और लिपुलेख क्षेत्रों को अपने नक्शे में दिखाकर नेपाल ने एक तरह से भारत के खिलाफ जाने की नीति ज़ाहिर कर दी थी. चीन के साथ बॉर्डर तनाव बढ़ने के बाद से पहली बार भारत के किसी वरिष्ठ अधिकारी के तौर पर श्रिंगला ने हाल में नेपाल का दौरा किया.

मौजूदा समय में हर लड़ाई जंग के मैदान में बंदूकों और तोपों से ही नहीं जीती जा सकती. जी नहीं, यहां हम अर्थव्यवस्था (Economy) वाली लड़ाई की बात नहीं कर रहे बल्कि विश्व की कूटनीति वाली रणनीति (Diplomatic Strategy) की बात यहां अहम है.

भौगोलिक राजनीति के त​हत भारत जिस तरह एशिया के छोटे और अपने पड़ोसी देशों के साथ रिश्ते मज़बूत कर रहा है, रणनीति यही है कि चीन के खिलाफ उसके मिशन में उसे इन देशों का समर्थन और साथ मौके पर हर तरह से मिल सके. विदेश मंत्री जयशंकर (S. Jaishankar) से लेकर विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रिंगला (Harsh Vardhan Shringla) और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल (Ajit Doval) करीबी देशों के दौरे करते हुए लगातार भारत की इस स्ट्रैटजी को शिद्दत से अंजाम देने में जुटे हुए हैं.

हाल में, आपको बताया था कि कैसे मालदीव को भारत ने चीन से छीनकर अपने पाले में करने की कवायद को अंजाम दिया. लेकिन, सिर्फ मालदीव ही नहीं बल्कि ‘सबका साथ, सबका विश्वास’ वाली रणनीति और भी पड़ोसी देशों के साथ अपनाई जा रही है.

आर्थिक ही नहीं, बल्कि रक्षा समझौतों के तहत चीन के खिलाफ एक मज़बूत आधार तैयार किया जा रहा है. आइए आपको बताते हैं कि किस तरह भारत अपनी इस रणनीति को किन देशों में कारगर बनाने में जुटा हुआ है.