इस वर्ष अप्रैल से ही पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) की तरफ से भारतीय सेना को भड़काने वाली कार्रवाई की जा रही है। पीएलए के जवान इस बात पर अड़े हैं कि जब तक इंडियन आर्मी पैंगोंग त्सो के दक्षिणी हिस्से से नहीं जाएगी, मसला नहीं सुलझेगा।
भारतीय सेना इस समय रणनीतिक तौर पर चीन के खिलाफ काफी मजबूत स्थिति में आ गई है।भारत की तरफ से भी चीन को कहा गया है कि वह पहले डिएस्कलेशन का एक रोडमैप उसे दिया जाए ताकि यह पता लग सके कि पूर्वी लद्दाख में कैसे पीछे हटने वाली है।
एक अधिकारी की तरफ से कहा गया है कि चर्चा को सिर्फ एक या दो जगहों तक ही सीमित रखा जाए जबकि एलएसी के हर हिस्से पर चीन की सेना का बड़ा जमावड़ा है।
पूर्वी लद्दाख में लगता है कि चीन आसानी से पीछे नहीं हटेगा। वह अपने उसी अड़ियल रवैये पर कायम है और सोमवार को छठें दौर की कोर कमांडर वार्ता के बाद भी स्थिति जस की तस बनी हुई है।
मई माह से ही चीन ने पूर्वी लद्दाख की कुछ जगहों पर गैर-कानूनी तरीके से कब्जा किया हुआ है। अब चीन, भारत से यह मांग कर रहा है कि वह पैंगोंग त्सो के दक्षिणी हिस्से में स्थित अहम रणनीतिक चोटियों को खाली कर दे।
सेना के वरिष्ठ अधिकारियों की मानें तो चीन ने डिएस्कलेशन से पहले यह शर्त रख दी है।21 सितंबर को हुई छठें दौर की कोर कमांडर वार्ता के दौरान चीन की तरफ कहा गया था .
वह तब तक लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर डिसइंगेजमेंट पर कोई चर्चा नहीं करेगा जब तक कि भारत चोटियों को नहीं खाली करता है। दोनों देशों के बीच इस समय एलएसी पर युद्ध जैसे हालात बने हुए हैं।