चीन और पाकिस्‍तान को सबक सिखाने के लिए तैयार भारत , अमेरिका का है ये प्‍लान…

भारत और अमेरिका के बीच दरअसल अक्‍टूबर 2020 में हुए एक समझौते ने इंटेलीजेंस शेयरिंग को और आसान कर दिया है. दोनों देशों के बीच बेसिक एक्‍सचेंज एंड को-ऑपरेशन एग्रीमेंट यानी BECA को साइन किया गया है.

 

इस समझौते के साइन होने के बाद कई मोर्चों पर इंटेलीजेंस शेयरिंग को बढ़ाया गया है. अमेरिका की नेशनल जियोस्‍पेशियल इंटेलीजेंस एजेंसी के डायरेक्‍टर वाइस एडमिन रॉबर्ट शार्प ने कहा है कि बेका की वजह से भारत के साथ साझीदारी और मजबूत हुई है और जानकारियों के आदान-प्रदान में सहूलियत हुई है.

बेका की वजह से भारत को भौगोलिक स्थितियों के बारे में जो विस्‍तार से मालूम पड़ा है, साथ ही साथ उसे नॉटिकल और एरोनॉटिकल डाटा भी हासिल होते रहते हैं.इसके साथ ही अमेरिका, भारत को एडवांस्‍ड नेविगेशनल यानी नौपरिवहन संबंधी मदद और एयरक्राफ्ट से जुड़ी इंटेलीजेंस भी इस समझौते के बाद साझा कर सकता है. जियोस्‍पेशियल डाटा के मिलने के बाद भारतीय मिसाइलें दुश्‍मन के किसी भी टारगेट को पलभर में ध्‍वस्‍त कर सकती हैं.

भारत और अमेरिका के बीच अक्‍टूबर 2020 में बेका एग्रीमेंट साइन हुआ था. दोनों देशों के बीच इससे पहले तीन मौलिक समझौते हो चुके हैं. इन समझौतों के तहत दोनों देश पहले से ही एक-दूसरे के मिलिट्री संस्‍थानों का प्रयोग रि-फ्यूलिंग और आपूर्ति के लिए कर रहे हैं. इसके अलावा कम्‍युनिकेशन एग्रीमेंट के बाद दोनों देशों के बीच जमीन और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सैन्‍य जानकारियों का आदान-प्रदान हो रहा है.

भारत ने अमेरिका के साथ साल 2002 में जनरल सिक्‍योरिटी ऑफ मिलिट्री इनफॉर्मेशन एग्रीमेंट (GSOMIA) साइन किया था. इसके बाद साल 2016 में लॉजिस्टिक्‍स एक्‍सचेंज मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट (LEMOA) साइन हुआ था और साल 2018 में कम्‍यूनिकेशन कॉम्‍पैटिबिलिटी एंड सिक्‍योरिटी एग्रीमेंट (COMCASA) साइन हुआ था.

भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में इस वर्ष मई माह से टकराव की स्थिति है. इस पूरी स्थिति में भारत और अमेरिका के बीच हुए उन चार समझौतों की भी बड़ी मदद मिल रही है जो रक्षा क्षेत्र से जुड़े हैं. इन सभी डिफेंस एग्रीमेंट्स को रक्षा विशेषज्ञ भारत के लिए बहुत फायदेमंद करार देते हैं.

एक ऐसे समय में जब पूर्वी सीमा पर चीन लगातार टकराव की स्थिति में हैं और पश्चिमी बॉर्डर पर पाकिस्‍तान के आतंकी मंसूबों में कोई कमी नहीं आती दिख रही है, ये समझौते इन देशों की घेराबंदी के लिए काफी फायदेमंद हैं. लद्दाख में सेना हाई अलर्ट पर है और इस समय पीएलए की हर गतिविधि पर करीब से नजर रखे है. इसमें उसे अमेरिका की मदद मिल रही है.