चिकनपॉक्स की बीमारी का करे ये घरेलू उपाए

कई बार बचपन या फिर किशोरावस्था में हुई चिकनपॉक्स की बीमारी के उपचार के बाद भी वायरस शरीर के नर्वस सिस्टम में लंबे समय तक रहता है. हालांकि इस दौरान कोई लक्षण सामने नहीं आता. लेकिन शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता निर्बल होते ही यह वायरस अंदर ही अंदर इम्यून सिस्टम पर अटैक कर हर्पीज (त्वचा पर दाने निकलना) का कारण बनता है.

वायरस के दो प्रकार –
हर्पीज स्कीन संबंधी संक्रामक रोग है. यह दो तरह का होता है. हर्पीज जोस्टर और हर्पीज सिम्प्लैक्स. जिन्हें पहले कभी चिकनपॉक्स हो चुका हो उन्हें इसी के कारक वायरस वैरिसेला जोस्टर से हर्पीज जोस्टर होता है. इसमें शरीर के एक ही भाग में एक तरफ कई सारे दाने उभरते हैं. ये धीरे-धीरे पानी से भरे फफोलों का रूप ले लेते हैं. कई बार ये शरीर के दूसरे भाग या दोनों तरफ भी उभरते हैं. ऐसा एचआईवी, कैंसर रोगी, 40 से अधिक आयुवाले और जिनकी इम्युनिटी कम हो, उन्हें होते हैं. वहीं सिम्प्लैक्स में मुंह के चारों तरफ जननांग के आसपास दाने बार-बार उभरते हैं. यह हर्पीज सिम्प्लैक्स वायरस से होता है.40 की आयु से अधिक के लोगों में हर्पीज की संभावना ज्यादा होती है. कारण निर्बलइम्युनिटी है. 3-4 दिन पहले से दर्द होता है. इसके बाद प्रभावित भाग पर दाने उभरते हैं.

इलाज का उपाय –
एलोपैथी में 72 घंटों में एंटीवायरल दवाएं देते हैं. इसके साथ क्रीम या कैलामाइन लोशन दानों पर लगाने के लिए देते हैं. कम से कम 15-20 दिन उपचार चलता है. इसके अतिरिक्त जिन्हें चिकनपॉक्स नहीं हुआ उन्हें वैक्सीन लगाते हैं. वहीं हर्पीज सिम्प्लैक्स में 5 दिन दवा देते हैं.

होम्योपैथी में रोग के कारण और लक्षणों के आधार पर आर्सेनिक, जीनस एपिडेमिकस, बैलेडोना, ब्रायोनिया, रसटोक्स आदि दवा उपचार और बचाव के लिए देते हैं.

आयुर्वेद में हरिद्रा, मंडूक, ब्राह्मी, आमलकी, गिलोय, दूध, घी  च्यवनप्राश खाने की सलाह देते हैं ताकि इम्युनिटी बनी रहे.

प्रमुख लक्षण –
शरीर के प्रभावित हिस्से पर दाने उभरने के 3-4 दिन पहले दर्द होना. फिर इनमें जलन, दर्द या घाव बनना. तेज बुखार, कंपकपी, सिरदर्द, पेट संबंधी समस्या, शरीर के विभिन्न हिस्सों में दाने.

बचाव- साफ-सफाई का ध्यान रखें. पानी वाली फुंसियों को हाथ के नाखूनों से न फोड़ें वर्ना संक्रमण फैलकर गंभीर रूप ले सकता है. बच्चों को टीका लगवाया जाना चाहिए.