चलिए आज हम आपको बताते इस पंछी के बारे में कुछ रहस्य

यूं तो आपने कोयल की सुरीली आवाज़ बहुत सुनी है लेकिन क्या आप जानते हैं कि इतना मीठा बोलने वाला पक्षी कितना चालाक  लड़ाकू होने कि सम्भावना है . चलिए आज आपको कोयल के बारे में कई रहस्य बताते हैं 

इन दिनों उत्तर हिंदुस्तान के अधिकांश भागों में कोयल की ख़ूब आवाज़ें सुनाई दे रही हैं . यह समय कोयल के प्रजनन का होता है  यह पक्षी इन दिनों हिंदुस्तान के मध्य और दक्षिण भाग से उत्तरी क्षेत्रों में आकर प्रवास करते हैं . मादा कोयल अण्डे देती है  जब उनके बच्चे बड़े हो जाते हैं तो वे उन्हे लेकर वापस दक्षिण की ओर लौट जाते हैं 

अब कोयल से जुड़े रहस्य बताते हैं मादा कोयल जब अंडे देने को तैयार हो जाती है तब नर कोयल घर की तालाश करता है, जी हाँ बने बनाए घर की तालाश करता है  खोज होती है किसी ऐसे पक्षी की जिसने हाल ही में अंडे दिए हों . आम तौर पर उनकी नज़र कौवे के घोंसले पर होती है क्योकि उसी का घोंसला बड़े साइज़ का होता है . परपक्षी का घोंसला मिलते ही कोयल का जोड़ा उस के आसपास मंडराने लगता है . अब नर कोयल मादा कौवे को तंग करना शुरु करता है जो अपने अण्डों को से रही है . मक़सद होता है कि मादा कौवा अपने घोंसले से दूर चली जाए  वही होता है, बार बार तंग करने पर मादा कौवा परेशान होकर नर कोयल के पीछे पड़ जाती है  उसे दूर तक खदेड़ने निकल जाती है . इसी मौक़े की तालाश में बैठी मादा कोयल तुरन्त कौवे के घोंसले में अपने अंडे देकर तुरन्त उड़ जाती है .मादा कौवा वापस आकर उन अंडों पर बैठ जाती है जिनमें कोयल के अंडे भी शामिल हैं . मादा कोयल एक ऋतु में 15 से 20 अंडे देती है  होने कि सम्भावना है कि वे अंडे भिन्न भिन्न घोंसलों में एक साथ पल रहे हों . नर और मादा कोयल अपने अंडों के आसपास रह कर लगातार उन पर नज़र बनाए रखते हैं . कई बार दूसरे पक्षियों को इनकी चालाकी का पता चल भी जाए तो कोयल के लड़ाकू स्वभाव के चलते कुछ बोलते नही हैं 
अब आपको दूसरा रहस्य बताते हैं . जब माँ बाप इतने चालाक हैं तो बच्चे भी कम नही होते . कोयल के बच्चे अंडों से करीब 12 दिनों में बाहर निकल आते है अंडों से बाहर आते ही कोयल के बच्चे दूसरे अंडों को एक एक कर घोंसले से बाहर फेंक देते हैं . अगर दूसरे अंडों में से बच्चे पहले निकल आएँ तो कोयल के बच्चे कौवे के बच्चों को बाहर गिरा देते हैं . इस तरहा उन घोंसले में केवल कोयल के बच्चे ही पलते हैं जिनके खाने का पूरा इन्तज़ाम कौवा या दूसरे पक्षी करते हैं 

अगला रहस्य यह है कि आप कोयल की जो सुरीली आवाज सुनते हैं वह नर कोयल की आवाज होती है . मादा कोयल कुहुकती नही है बलकी कु कु की आवाज निकालती है . कोयल कभी ज़मीन पर नही बैठती वो हमेशा पेड़ों पर ही रहती है . नर कोयल का रंग काला  मादा का भूरा रंग होता है कोयल की आंखे लाल रंग की होती है इनकी चोंच घुमावदार  तीखी होती है कोयल पक्षी की औसत लम्बाई 10 से 11 इंच होती है

संसार की सबसे बड़ी कोयल का नाम “चैनल बिल्ड कुक्कू” है इसकी लम्बाई 25 इंच है संसार की सबसे छोटी कोयल का नाम “लिटिल ब्रोंज कुक्कू” है इसकी लम्बाई मात्र 6 इंच के बराबर है पूरी संसार मे कोयल पक्षी की करीब 120 प्रजाति पायी जाती है कुछ कोयल की प्रजाति में ऐसी क्षमता होती है कि वह उसी आकार के अंडे दे जिस आकार के अंडे पहले से घोंसले में पड़े हों . कोयल का वैज्ञानिक नाम कुकुलेडाई (Cuculidae) है . कोयल हिंदुस्तान मैं झारखंड का प्रदेश पक्षी भी है