चंद्रशेखर राव की पार्टी टीआरएस सत्ता में जबरदस्त वापसी

पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव (Assembly elections 2018) में तकरीबन हर गवर्नमेंट को सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ रहा है राजस्थान  छत्तीसगढ़ में सत्ताधारी भाजपा मतगणना के शुरुआती रुझानों में बुरी तरह पिछड़ती नजर आ रही है वहीं मध्य प्रदेश में सत्ताधारी भाजपा को कांग्रेस पार्टी के कड़े मुकाबले का सामना करना पड़ रहा है उधर, मिजोरम में सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी चुनाव में बुरी तरह पिछड़ती नजर आ रही है इस तरह देखा जाए तो पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव (Assembly elections 2018)में अकेला तेलंगाना ऐसा राज्य है जहां CM के चंद्रशेखर राव की पार्टी टीआरएस सत्ता में जबरदस्त वापसी करती नजर आ रही है

 

शुरुआती रुझानों में टीआरएस को एकतरफा वोट मिलते दिख रहे हैं यह रुझान बताता है कि आखिर के चंद्रशेखर राव (केसीआर) ने क्यों तय समय से आठ महीने पहले राज्य में विधानसभा चुनाव कराए दरअसल इस नए बने राज्य के लिए केसीआर खासे जरूरी हैं वे न सिर्फ CM हैं, बल्कि राज्य का गठन कराने के लिए उन्होंने अपनी जान की बाजी लगाई थीयह उन्हीं के आमरण अनशन का प्रभाव है कि तेलंगाना राज्य वजूद में आया

अगर केसीआर के करियर पर नजर डालें तो तेलंगाना की मांग पर उन्होंने तेलुगुदेशम पार्टी छोड़ी  का गठन किया अपनी राजनैतिक जरूरतों के हिसाब से उन्होंने टीडीपी, कांग्रेस पार्टी कम्युनिस्ट पार्टियों से साझेदारी किया

उन्हें अपने करिश्मे पर इस कदर भरोसा है कि वे जनता के बीच वे बातें कहने से भी नहीं चूकते तो सामान्य तौर पर नेता नहीं कहते केसीआर ने अल्पसंख्यकों के लिए 12 प्रतिशत आरक्षण की बात कही थी, लेकिन जब चुनाव से पहले एक सभा में जब एक मुस्लिम युवक ने उनसे पूछा कि आप आरक्षण कब दोगे, तो केसीआर ने बोला कि अगर तुम मुसलमानों को 12 प्रतिशत आरक्षण की बात कर रहे हो तो चुपचाप बैठ जाओ

लेकिन इस साफगोई के बावजूद केसीआर को मुसलमानों का समर्थन हासिल है कांग्रेस पार्टी ने इसकी काट के लिए क्रिकेटर मुहम्मद अजहरुद्दीन को तेलंगाना कांग्रेस पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया, लेकिन यह दांव चलता नजर नहीं आया तेलंगाना के ट्रेंड एकतरफा केसीआर के साथ जा रहे हैं

केसीआर के लिए तेलंगाना की लड़ाई इसलिए भी सरल हो गई कि कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने जैसी ताकत एमपी, राजस्थान  छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी को एकजुट करने में लगाई वैसी ताकत तेलंगाना में नहीं लगाई इस बार कांग्रेस पार्टी ने तेलगुदेशम पार्टी के साथ साझेदारी बनाने के चुनाव मैदान में उतरी लेकिन एक तरफ कांग्रेस पार्टी की आंतरिक फूट  दूसरी तरफ टीडीपी का प्रारम्भ से तेलंगाना विरोधी रवैया भी कांग्रेस पार्टी के विरूद्ध गया

इन राजनैतिक समीकरणों के अतिरिक्त पिछले चार वर्ष में नए बने राज्य में टीआरएस ने तेजी से विकास काम कराए हैं वह लगातार जनता के बीच रहे समय पूर्व विधानसभा खत्म कराके उन्हें एक लाभ यह भी हुआ कि ऐन चुनाव तक वह घोषणाएं  विकासकार्य करते रहे जबकि सामान्य परिस्थितियों में सरकारें ऐसा नहीं कर पातीं

मतगणना के शुरुआती दो घंटे में जिस तरह की बढ़त टीआरएस ने बनाई है, उससे लगता है कि केसीआर अपने करिश्मे के मामले में एनटीआर यानी एन टी रामाराव की बराबरी करते दिख रहे हैं एक ऐसे समय में जब दक्षिण हिंदुस्तान की पॉलिटिक्स से जयललिता  एम करुणानिधि जैसे करिश्माई नेता एक साथ विदा हुए, वैसे में केसीआर एक नई चमक बनकर कौंधने लगें तो बहुत अचरज नहीं होगा