गुस्से में आकर किसानों ने खोला ये बड़ा मोर्चा, अब क्या होगा आगे…

प्रधानमंत्री ने सोमवार को एमएसपी पर भी अपनी बात रखते हुए कहा कि, एमएसपी था, है और रहेगा। इसपे किसान मोर्चा ने माना है कि, एमएसपी पर खाली बयानों से किसानों को किसी भी तरह से फायदा नहीं होगा और अतीत में भी इस तरह के अर्थहीन बयान दिए गए थे।

 

किसानों को वास्तविकता में और समान रूप से टिकाऊ तरीके से तभी लाभ होगा जब सभी फसलों के लिए एमएसपी को खरीद समेत कानूनी गारंटी दी जाती है।

यह भाजपा और उसके पूर्वज ही हैं जिन्होंने कभी भी अंग्रेजों के खिलाफ कोई आंदोलन नहीं किया। वे हमेशा जन आंदोलनों के खिलाफ थे, इसलिए वे अभी भी जन आंदोलनों से डरते हैं। हालांकि प्रधानमंत्री ने सोमवार को कृषि कानून पर फिर बातचीत कर इस मसले को हल करने की बात कही।

संयुक्त किसान मोर्चा के अनुसार, अगर सरकार अब भी किसानों की मांगों को स्वीकार करती है, तो किसान वापस जाकर पूरी मेहनत से खेती करने के लिए अधिक खुश होंगे। यह सरकार का अड़ियल रवैया है, जिसके कारण ये आंदोलन लंबा हो रहा है जो कि आंदोलनजीवी पैदा कर रहा है।

जिसपर संयुक्त किसान मोर्चा ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि, हम प्रधानमंत्री द्वारा किसानों के किये गए अपमान की निंदा करते हैं और प्रधानमंत्री को याद दिलाना चाहेंगे कि वे आंदोलनजीवी ही थे, जिन्होंने भारत को औपनिवेशिक शासकों से मुक्त करवाया था और इसीलिए हमें आंदोलनजीवी होने पर गर्व भी है।

कृषि कानून पर 76वें दिन से किसानों का प्रदर्शन जारी है, ऐसे में प्रधानमंत्री ने राज्यसभा में किसानों के मुद्दे पर सोमवार को अपनी बात रखी। हालांकि प्रधानमंत्री के एक शब्द को संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से उसे किसानों का अपमान करार दिया गया है, वहीं इसकी निंदा भी की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को राज्यसभा में आंदोलनजीवी शब्द का इस्तेमाल किया।