क्रिसमस को लेकर सामने आई ये बड़ी खबर, इस साल…

दुनिया के किसी भी कोने से पेर नोएल यानी फादर सांता को लिखा कोई भी पत्र अपना रास्ता फ्रांस के बोर्डो क्षेत्र के इस डाकघर तक बना ही लेता है. सांता के नाम पर आने वाली सारी डाक 1962 से इस डाकघर में आती हैं.

नवंबर-दिसंबर के महीनों में पत्रों के ढेर को छांटने का काम सांता के सहयोगी माने जाने वाले लोग करते हैं जिन्हें ‘एल्फ’ कहा जाता है. एल्फ जमीला हाजी ने बताया कि 12 नवंबर को पहला पत्र खोलते ही पता चल गया था कि इस महामारी (Epidemic) ने बच्चों पर कितना असर डाला है. उन्होंने कहा कि आम तौर पर बच्चे खिलौने और गैजेट मांगते थे लेकिन इस बार बच्चे वैक्सीन, दादा-दादी के पास जाने की और जीवन सामान्य होने की मांग कर रहे हैं.

दक्षिण-पश्चिम फ्रांस के एक डाकघर में इस वर्ष सांता को लिखे हजारों पत्र, कार्ड, नोट आ रहे हैं जहां इन पत्रों को छांटा जाता है और उनका जवाब भेजा जाता है. नन्हे जो ने इस बार सांता से केवल एक म्यूजिक प्लेयर और अम्यूजमेंट पार्क की टिकट मांगी है, क्योंकि कोरोना के कारण यह साल पहले से अलग है. जो ने लिखा, संक्रमण से बचे रहने के लिए ही मैं इस बार आपसे ज्यादा कुछ नहीं मांग रहा हूं.

पांच साल की अलीना ने किसी बड़े व्यक्ति की मदद से भेजे पत्र में सांता से आगे के दरवाजे से आने का अनुरोध किया और कहा कि पीछे के दरवाजे से केवल दादा-दादी आते हैं, ताकि वे इस वायरस से बचे रह सकें.

ताइवान के रहने वाले नन्हे जिम ने सांता को भेजे गए अपने लिफाफे में एक फेस मास्क भी डाल दिया है और लिखा ‘आई लव यू’. दस वर्षीय लोला ने सांता को लिखा कि उसकी आंटी को फिर से कैंसर न हो और यह वायरस भी खत्म हो जाए. लोला ने लिखा, मां मेरी देखभाल करती हैं और कभी-कभी मुझे उनके लिए डर लगता है. उसने सांता से भी अपना ध्यान रखने को कहा.

इन पत्रों में बच्चों ने जो बातें लिखी हैं वे बताती हैं कि इस महामारी (Epidemic) ने बच्चों के मन पर बहुत बुरा असर डाला है और एक अनजाना सा डर उनके भीतर समा गया है. सांता को भेजे जाने वाले पत्र फ्रांस के एक डाकघर में आते हैं. इन पत्रों को छांटने वाले लोगों का कहना है कि हर तीन में से एक पत्र में कोरोना महामारी (Epidemic) का जिक्र किया गया है.

सन 2020 लगभग पूरा ही कोरोना महामारी (Epidemic) के साए में निकल गया. इसकी वजह से लोगों की रोजमर्रा की दिनचर्या बुरी तरह अस्त व्यस्त हो गई. इस साल कोई भी त्योहार पहले की तरह नहीं मनाया गया.

उन्मुक्त कुलांचे भरने वाले बच्चों को भी वायरस के खौफ से घरों में कैद होकर रहना पड़ रहा है. बच्चों के सपनों को पूरा करने वाला त्योहार क्रिसमस करीब है. ऐसे में बच्चों ने अपने प्रिय सांता क्लॉज को पत्र लिखकर अपनी इच्छा जताई है.