कोरोना वायरस से निपटने के लिए अब करना होगा ये काम, पूरी दुनिया को…

संयुक्त राष्ट्र का ख़याल है कि अन्तरराष्ट्रीय संकेत भाषा दिवस बधिर लोगों व संकेत भाषाओं का प्रयोग करने वाले अन्य लोगों की भाषाजनक पहचान व सांस्कृतिक विविधता की संरक्षा और उसे बढ़ावा देने के लिये एक अनूठा अवसर प्रदान करता है.

 

महासचिव ने कहा ‘इस अन्तरराष्ट्रीय संकेत भाषा दिवस पर, मैं तमाम स्थानीय, राष्ट्रीय और वैश्विक नेताओं का आहवान करता हूँ कि वो संकेत भाषाओं और संस्कृतियों की विविधता को संरक्षित करने के साथ-साथ ज़ोर-शोर से बढ़ावा दें. ताकि हर एक बधिर व्यक्ति समाज को अपना योगदान देने की गतिविधियों में भरपूर तरीक़े से भागीदारी कर सकें, और अपनी पूर्ण सम्भावनाओं का विकास कर सकें.’

बधिर लोगों के विश्व महासंघ के अनुसार, दुनिया भर में लगभग 7 करोड़ 20 लाख लोग 300 विभिन्न संकेत भाषाओं का प्रयोग करते हैं, इनमें से 80 प्रतिशत से ज़्यादा आबादी विकासशील देशों में बसती है.

महासचिव ने जानकारी देते हुए कहा कि वर्ष 2019 में यूएन विकलाँगता समावेशिता रणनीति शुरू की गई थी जिसका मक़सद ‘जो भी कुछ हम करते हैं, यहाँ तक कि संकटों के दौर में भी’, उन सभी गतिविधियों में विकलाँगता वाले व्यक्तियों का पूर्ण समावेश, सार्थक भागीदारी और सहभागिता मज़बूत करना है. उन्होंने कहा कि किसी को भी पीछे नहीं छोड़ देने का जो केन्द्रीय वादा एजेण्डा 2030 में किया गया है, उसे पूरे करने के लिये ‘यही एक मात्र रास्ता’ है.

यूएन महासचिव ने इस दिवस के लिये दिये अपने सन्देश में यह कहते हुए अपनी प्रसन्नता व्यक्त की कि कुछ देशों में कोविड-19 के बारे में सूचना व सार्वजनिक स्वास्थ्य उदघोषणाएँ राष्ट्रीय संकेत भाषाओं में भी मुहैया कराई जा रही हैं. और उन्होंने अपनी वो पुकार फिर दोहराई है कि कोविड-19 का सामना करने की कार्रवाई और पुनर्बहाली उपायों में सबकी भागीदारी होनी चाहिये.

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने कहा है कि वर्ष 2020 का अन्तरराष्ट्रीय संकेत भाषा दिवस एक ऐसी महामारी के दौर में मनाया जा रहा है जिसने दुनिया भर में हर कहीं आम जीवन को उलट-पलट कर रख दिया है, प्रभावितों में बधिर समुदाय भी शामिल है.