कृषि कानून को वापस लेने के आलावा सरकार के पास नहीं बचा कोई रास्ता, आदमी पार्टी के इस नेता ने किया खुलासा

किसान संगठनों के नेताओं के साथ 8 बार बात करने की कोशिश की, लेकिन बातचीत का कोई निष्कर्ष नहीं निकला क्योंकि सरकार की नियत में खराबी है. बीते 50 दिन से किसान, बड़े-बुजुर्ग, नौजवानो समेत लाखों लोग दिल्ली की दहलीज पर बैठे हैं.

जारी आंदोलन के दौरान 67 से ज्यादा वीर किसानों ने शहादत दी है. आम आदमी पार्टी की सलाह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर्दे के पीछे रहकर काम न करें. प्रॉक्सी मंत्रियों को आगे करने के बजाए प्रधानमंत्री खुद सामने आकर देश के किसानों से बात करें. देश के किसानों की मांगों को स्वीकार करने में ही सभी का हित है.

कमेटी के सदस्य बीएस मान पहले ही कृषि कानूनों का समर्थन कर चुके हैं. चढ्ढा ने मान को पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह का समर्थक और करीबी भी बताया. राघव चड्ढा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर्दे के पीछे रहकर काम न करें.

हमारी मांग है कि प्रधानमंत्री किसानों के साथ 15 जनवरी को होने वाली अगली बैठक में खुद आएं और तीनों कानूनों को रद्द करें. 8 दौर की बैठक में मोदी सरकार के कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर, पीयूष गोयल समेत कई बड़े-बड़े मंत्री शामिल थे.

किसानों और सरकार की बातचीत का ज़िक्र करते हुए राघव चड्ढा ने कहा कि किसान संगठनों के साथ अब तक 8 दौर की बात हो चुकी है, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल सका है.

उन्होंने मोदी सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार कानून वापस नहीं करना चाहती है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की तरफ से बनाई गई कमेटी में शामिल चारों सदस्यों को कृषि कानूनों के समर्थक होने का आरोप लगाया. उनका कहना है कि ऐसी स्थिति में कमेटी के सदस्यों से न्याय की उम्मीद नहीं है

देश भर में किसान आंदोलन गति पकड़ता जा रहा है. सरकार और किसानों के बीच कई दौर की वार्ता के बावजूद अब तक कोई हल नहीं निकला. सुप्रीम कोर्ट ने तीनों कृषि कानूनों पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है.

इस बीच, आंदोलन समर्थक आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता राघव चड्ढा ने बयान जारी किया है. उन्होंने कहा कि किसान विरोधी कानूनों को वापस लेने की शक्ति केंद्र सरकार के पास है, उसे कोई पैनल वापस नहीं करा सकता. इसलिए, आम आदमी पार्टी केंद्र सरकार से तीनों कानूनों को तत्काल वापस लेने की मांग करती है.