कृषि कानून को लेकर सरकार और किसानों के बीच हुआ ये , बढ़ता जा रहा गतिरोध

हरियाणा की गठबंधन सरकार पर अगर किसान आंदोलन का दबाव है तो प्रगतिशील किसानों के नए कानूनों के पक्ष में खड़े होने से भाजपा-जजपा का हौसला भी बढ़ा है। अब सरकार अन्य किसान संगठनों को भी यही समझाना चाह रही है कि नए कृषि कानून उनके लिए आर्थिक तरक्की के द्वार खोलेंगे।

सीएम मनोहर लाल व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला आंदोलन को खत्म कराने के लिए भरसक प्रयास कर रहे हैं। दुष्यंत ने तो 48 घंटे में समाधान निकलने की बात भी कही है, लेकिन किसान संगठनों के तेवर नरम होने के बजाय और तीखे होते जा रहे हैं। बावजूद इसके डिप्टी सीएम दुष्यंत को उम्मीद है कि जल्दी ऐसा रास्ता निकलेगा, जिससे आंदोलन खत्म होगा व धरने पर बैठे बुजुर्ग, नौजवान किसान, बच्चे व माताएं, बहनें घर लौटेंगे।

सरकार भी अब मझधार में है, चूंकि एक तरफ धरने पर डटे अन्नदाता हैं तो दूसरी तरफ प्रगतिशील किसान। नए कानूनों के पक्ष में प्रगतिशील किसानों के आ खड़े होने व आंदोलन की चेतावनी देने से परिस्थितियां बदल गई हैं। आधुनिक तकनीक व नई नीतियों के सहारे आगे बढ़ने का दम भर रहे प्रगतिशील किसानों को भी सरकार नजरअंदाज करने को तैयार नहीं है।

नए कृषि कानूनों को लेकर केंद्र सरकार और आंदोलनरत किसानों के बीच गतिरोध कम होने के बजाए बढ़ता जा रहा है। किसान संगठन अपनी मांगों पर अटल हैं और टस से मस होने को तैयार नहीं। इससे आंदोलन लंबा खिंचता जा रहा है।