कृषि कानून के खिलाफ केजरीवाल ने किया ये , देख नेताओ के उड़े होश

अब केजरीवाल सरकार का एक और यूटर्न देखिए। 2017 में पंजाब में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान AAP ने अपने घोषणा-पत्र में इसी तरह के कृषि कानूनों को लागू करने की बात कही थी।

पार्टी ने न सिर्फ APMC में संशोधन करने की बात कही थी, बल्कि कृषि बाजार में प्राइवेट कंपनियों की भागीदारी की वकालत की थी। AAP का दावा था कि इससे आईटी स्टार्टअप्स और इंडस्ट्रीज से किसानों को फायदा होगा। 2016 में AAP के एक एडवर्टाइजमेंट में हर जिले में भारी प्राइवेट निवेश के जरिए कृषि उत्पाद बेचने की व्यवस्था का वादा किया गया था।

सच्चाई ये है कि दिल्ली सरकार ने इन कृषि कानूनों को नवंबर 2020 में ही प्रदेश में नोटिफाई कर दिया था और ‘दिल्ली राजपत्र’ के जरिए अधिसूचना जारी कर दी थी।

दिल्ली की AAP सरकार ने अपने आदेश में स्पष्ट लिखा था कि कि ‘यह किसी भी राज्य की APMC अधिनियम या अन्य कानून के लागू होने के समय प्रवृत्त या प्रलेख के प्रभाव में आने वाले समय में लागू होगा।’ जब कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इस मुद्दे को बताया तो केजरीवाल ने उन पर निशाना साधते हुए उन्हें केंद्र का साथी बता दिया।

अरविंद केजरीवाल ने ऐसा करते हुए कहा कि वे दुःखी और उदास हैं। उन्होंने दावा किया कि वे ऐसा नहीं करना चाहते थे, लेकिन सड़क पर ठण्ड में ठिठुरते प्रदर्शनकारी किसानों को वे धोखा नहीं दे सकते।

उन्होंने खुद को पहले एक भारतीय और फिर एक सीएम बताते हुए कहा कि दिल्ली विधानसभा तीनों कृषि कानूनों को नकारती है। लेकिन, दिल्ली सरकार के इस रुख से लगता है कि AAP लगातार यूटर्न पर यूटर्न लेने में माहिर है।

केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों को लेकर आम आदमी पार्टी (AAP) का पहले कुछ और रुख था, वहीं अब यूटर्न के बाद उसका रुख कुछ और ही है। गुरुवार (दिसंबर 17, 2020) को दिल्ली विधानसभा में ड्रामेबाजी हुई, जहाँ मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने तीनों कृषि कानूनों की प्रतियाँ सदन में ही फाड़ डाली। साथ ही तीनों कृषि कानूनों को ख़त्म करने की माँग करते हुए प्रस्ताव भी पारित किया।