कृषि कानूनों को लेकर इस नेता ने केंद्र सरकार पर बोला हमला, कहा – जिद छोड़ दो वरना…

पायलट ने कहा कि चूंकि आपने कानून बना दिए लेकिन जब अब इतना बड़ा विरोध हो रहा है तो केंद्र सरकार को इन्हें वापस लेने से कौन रोक रहा है. उसकी क्या मजबूरी या विवशता है कि केन्द्र सरकार इन्हें वापस नहीं ले पा रही है, सवाल यह उठता है.

उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि पहले किसी सरकार ने कोई कानून वापस नहीं लिया या आगे ऐसा नहीं होगा लेकिन इस मौजूदा केंद्र सरकार के रवैये से सवाल उठने लगे हैं.

पायलट ने यहां  कहा कि मेरा मानना है कि लगभग दो महीनों से सड़कों पर बैठे देश के अन्नदाता, किसानों का मान-सम्मान सर्वोपरि है और अगर वे खुद मानते हैं कि ये कानून उसके हित में नहीं हैं तो इन्हें वापस लेना उचित मांग है और सरकार को अपनी जिद तथा अडियल रवैया छोड़कर इन कानूनों को वापस लेना चाहिए.

उन्होंने कहा कि इतने बड़े आंदोलन के बावजूद सरकार द्वारा इन कानूनों को वापस नहीं लिया जाना उसकी मंशा पर सवालिया निशान खड़ा करता है. उन्होंने कहा कि पहली बात तो किसी किसान ने ये कानून बनाने की मांग नहीं की थी.

केंद्र सरकार ने किसी किसान संगठन या राज्य सरकार से चर्चा और सलाह किए बिना कानून बना दिए और अब इन कानूनों को वापस नहीं लेने पर अड़ी है.

पायलट ने 26 जनवरी को नई दिल्ली में ‘ट्रैक्टर परेड’ के दौरान हुई हिंसक घटनाओं की निष्पक्ष जांच कराने की भी मांग की है ताकि असली दोषियों का पता चल सके. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार किस दबाव में यह कानून लाई और किस मजबूरी में वह इन्हें वापस नहीं ले रही है.

इसे लेकर बड़े सवाल उठने लगे हैं. उन्होंने कहा कि पहले तो केंद्र सरकार ने अपनी जिद और जबरदस्ती से, लोकतांत्रिक परंपराओं को ताक पर रखकर ये कानून पारित कराए.

जिन किसानों के कथित भले के लिए ये कानून लाए गए, वे खुद इसके विरोध में दो महीने से आक्रोशित और आंदोलनत हैं तो सरकार इन्हें वापस क्यों नहीं ले रही है. केन्द्र इन कानूनों को तुंरत वापस ले.

राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने किसानों के मान-सम्मान को सर्वो‍परि बताते हुए रविवार को कहा कि केंद्र सरकार को ”जिद और जबरदस्ती‍ से पारित कराये गए” अपने केंद्रीय कृषि कानूनों को तत्काल वापस लेना चाहिए.