किसान करने जा रहे ये बड़ी घोषणा, सरकार को माननी होगी पूरी बात, आज रात…

एक तरफ किसान नए कानूनों पर रोक लगाए जाने के फैसले का समर्थन कर रहे हैं. वहीं, दूसरी ओर संगठनों ने अदालत की तैयार समिति पर भी सवाल उठाए हैं. किसानों का मानना है कि समिति में उन लोगों को भी शामिल किया गया है.

 

जो नए कानूनों का समर्थन कर रहे हैं. बीते दिनों मुख्य न्यायाधीश ने कहा, ‘यह जिंदगी और मौत का मामला है. हम कानूनों को लेकर चिंतित हैं. हम आंदोलन की वजह से प्रभावित हो रहे लोगों के जीवन और संपत्ति को लेकर चिंतित हैं. हम परेशानी को सबसे अच्छे तरीके से सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं.’

खास बात है कि किसान मुद्दे पर अब सुप्रीम कोर्ट भी सख्त रवैया अपनाते हुए नजर आ रहा है. बीते दिनों सर्वोच्च न्यायालय ने लंबे समय से जारी प्रदर्शनों को लेकर केंद्र सरकार को फटकार भी लगाई है. इसके अलावा अदालत ने मामले के निपटारे के लिए एक समिति गठित की है.

जो केंद्र और किसान पक्ष के बीच सुलह कराने या कृषि कानूनों को लेकर जारी विवाद को खत्म करने का काम करेगी.कोर्ट की तरफ से तैयार की गई चार सदस्यीय इस टीम को पहली बैठक के बाद 2 महीनों के भीतर अदालत में अपनी सिफारिशें दाखिल करने के आदेश दिए हैं.

इस समिति में प्रमोद जोशी, अशोक गुलाटी, अनिल घनवंत और भूपिंदर सिंह मान शामिल हैं. खास बात है कि यह समिति 10 दिनों में अपना काम शुरू कर देगी. वहीं, कोर्ट ने इन तीनों विवादित माने जा रहे कानूनों के लागू होने पर अस्थायी रोक भी लगा दी है.

आगामी शुक्रवार को किसान और सरकार 9वीं बार आमने-सामने होंगे. हालांकि, सरकार को इस बार होने वाली बातचीत से काफी ज्यादा उम्मीदें हैं. केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) ने समाचार एजेंसी आईएएनएस से बातचीत में कहा था कि उन्हें उम्मीद है कि कोई विकल्प मिलेगा और वे मामले के निपटारे की ओर बढ़ेंगे.

हालांकि, सरकार भी अपना मत साफ कर चुकी है कि नए कानूनों को वापस नहीं लिया जाएगा. पत्रकारों से बातचीत के दौरान तोमर ने कहा था कि सरकार कानूनों में संशोधन करने के लिए तैयार है, लेकिन कानूनों के वापस लिए जाने का कोई विकल्प नहीं है.

नए कृषि कानूनों (New Farm Laws) से नाराज किसानों को दिल्ली की सरहदों (Delhi Borders) पर प्रदर्शन करते हुए 49 दिन बीत चुके हैं. 6 हफ्तों से ज्यादा समय गुजरने के बाद भी किसानों और सरकार के बीच किसी एक बात पर सहमति नहीं बन पाई है.

हालांकि, माना जा रहा है कि गुरुवार को किसान केंद्र से बातचीत को लेकर कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं. 8वें दौर की मुलाकात बेनतीजा रहने के बाद दोनों पक्षों के बीच 15 जनवरी यानि शुक्रवार को बातचीत हो सकती है.