किसान आंदोलन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया ये बड़ा फैसला , सरकार को दिया ये सुझाव, कहा अगर…

सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर सुनवाई कर रहा है कि किसानों के आंदोलन से बन्द पड़े सड़क को कैसे खोला जाए. दोनों पक्ष एक दूसरे पर सड़क बन्द करने का इल्ज़ाम लगा रहे हैं.

 

आज सुप्रीम कोर्ट में तीनों कृषि कानून की संवैधानिक वैद्यता पर भी बहस होनी थी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह पहले सड़क जाम होने पर चर्चा करेंगे. उसके बाद कानून पर.

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को दिए ये निर्देश इसलिए आज सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश दिया कि सभी संगठनों को आधिकारिक तौर पर नोटिस दिया जाए और सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में शामिल होने को कहा जाए. अब इस मामले की सुनवाई अगले 15 दिनों में सर्दी की छुट्टियों में होगी जिसके लिए अलग बेंच का गठन किया जाएगा.

केंद्र सरकार की तरफ से अटॉर्नी जेनरल के के वेणुगोपाल ने कहा कि वह इस सुझाव पर सरकार से बात करेंगे और अगली सुनवाई में सरकार का रुख बताएंगे. हालांकि उन्होंने कहा कि इसकी गुंजाइश कम है क्योंकि अगर सरकार कानून पर किसी तरह का रोक लगाती है .

तो फिर किसान बातचीत ही नहीं करेंगे. इसके जवाब में मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि हम कानून पर रोक लगाने की बात नहीं कर रहे. आप ये कर सकते हैं कि दोनों पक्ष जब तक बात चीत कर रहे हैं .

तब तक कानून को लागू न करने का भरोसा दिलाया जाए. गुरुवार को हुई सुनवाई में किसानों के संगठन के तरफ से कोई भी प्रतिनिधि नहीं आया था. कोर्ट को बताया गया कि किसी भी संगठन ने नोटिस स्वीकार करने से मना कर दिया.

केंद्र की मोदी सरकार द्वारा पारित किए गए तीन कृषि सुधार कानूनों (New Agriculture Laws 2020) के विरोध में किसानों के प्रदर्शन (Farmers Protest) को हटाने संबंधी याचिका पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई.

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एसए बोबडे, जस्टिस ए. एस. बोपन्ना और जस्टिस रामासुब्रमणियन की पीठ ने अपने आदेश में लिखा है कि कोर्ट किसी भी तरह से किसानों के आंदोलन में दखल नहीं देगा.

विरोध करना उनका अधिकार है जब तक कि वो अहिंसक रहे. मुख्य न्यायधीश जस्टिस बोबडे ने सुझाव दिया कि जब तक सरकार और किसानों के बीच समझौते की बात होती है तब तक इन कानूनों को लागू न किया जाए.