किसान आंदोलन के बीच आक्रामक हुआ ये नेता, मोदी सरकार को कह डाली ये बात

इस बारे में आप विधायक जर्नेल सिंह ने बीबीसी से बातचीत में कहा, “जिस दिन किसी क़ानून पर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर हो जाते हैं, उस दिन उसे नोटिफाई या डिनोटिफाई करने की किसी स्टेट की ताक़त नहीं रह जाती है.

 

अगर राज्य सरकार के हाथ में होता तो पंजाब सरकार अपने यहाँ रद्द कर लेती तो किसानों को इतने महीनों से यहाँ बैठने और धक्के खाने की क्या ज़रूरत थी?”

वो कहते हैं, “ये सिर्फ़ गुमराह करने के लिए बोला जा रहा है. आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की विधानसभा में भी और आंदोलन के पहले दिन से अपना रुख़ स्पष्ट किया है.”लेकिन सवाल अब भी बना हुआ है कि जब पंजाब सरकार ने क़ानून को नोटिफ़ाई नहीं किया तो आम आदमी पार्टी ने ऐसा क्यों किया?

विपक्षी पार्टियों का सवाल है कि जब दिल्ली सरकार ने कृषि क़ानून को नोटिफ़ाई कर दिया तो उसके बाद उन्हें सदन में फाड़ने का मतलब क्या है?

कैप्न अमरिंदर सिंह ने कहा, “इन कृषि क़ानूनों के बारे में किसी भी मीटिंग में कोई चर्चा नहीं की गई थी और अरविंद केजरीवाल आपके बार-बार दोहराये गए झूठ से ये नहीं बदलने वाला है. और बीजेपी भी मुझपर दोहरे मापदंड रखने का आरोप नहीं लगा सकती है क्योंकि आपकी तरह मेरा उनसे किसी किस्म का गठजोड़ नहीं है.” प्रदर्शन करते किसानों से मिलते अरविंद केजरीवाल

प्रदर्शन करते किसानों से मिलते अरविंद केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल कृषि क़ानून के ख़िलाफ़ काफ़ी मुखर हैं. बीजेपी, कांग्रेस से लेकर अकाली दल इस मुखरता को ‘केजरीवाल की अवसरवादिता’ क़रार दे रहे हैं.

वहीं, आम आदमी पार्टी का दावा है कि वो किसानों के साथ उस दिन से खड़ी है जब से ये क़ानून लोकसभा और राज्य सभा में पास किए गए थे. इस मुद्दे पर पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह बादल और केजरीवाल के बीच पिछले कई हफ़्तों से ‘ट्विटर जंग’ छिड़ी हुई रही.