किसानों ने सरकार को दी ये बड़ी धमकी, कहा पूरे दिल्ली में कर देंगे…

किसानों के संगठनों ने उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों पर गौर करने के लिए एक समिति बनाने के सरकार के प्रस्ताव को ठुकरा दिया और बोला कि मांगें पूरी नहीं होने पर वे अपना आंदोलन और तेज करेंगे ।

पाल ने बताया, ‘‘हमारी मीटिंग के बाद राकेश टिकैत जी को सरकार ने मंगलवार को मीटिंग के लिए बुलाया था । वह हमारे साथ हैंयह पंजाब केंद्रित आदोलन नहीं है बल्कि समूचे देश के किसान इससे जुड़े हैं ।

नए कृषि कानूनों के विरूद्ध हमें केरल, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और अन्य राज्यों के किसानों का भी समर्थन मिला है । ’’ उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार नहीं चाहती थी कि संयुक्त किसान मोर्चा के मेम्बर योगेंद्र यादव केंद्रीय मंत्रियों और किसान संगठनों के प्रतिनिधियों की मंगलवार को हुई बातचीत में शामिल हों ।

किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने बोला कि यदि केन्द्र तीनों नए कानूनों को वापस नहीं लेगा तो किसान अपनी मांगों को लेकर आनें वाले दिनों में और कदम उठाएंगे । संवाददाता सम्मेलन के पहले करीब 32 किसान संगठनों के नेताओं ने सिंघू बॉर्डर पर मीटिंग की जिसमें भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत भी शामिल हुए ।

केन्द्र और आंदोलन कर रहे किसान संगठनों के बीच मंगलवार को हुई बातचीत बेनतीजा रही और आगे अब तीन दिसंबर को फिर से बातचीत होगी ।

पाल ने बोला कि किसान संगठनों के प्रतिनिधि गुरुवार को होने वाली मीटिंग में केंद्रीय मंत्रियों को बिंदुवार अपनी असहमति से अवगत कराएंगे । उन्होंने कहा, ‘‘तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए केन्द्र को संसद का विशेष सत्र आहूत करना चाहिए । हम तीनों कृषि कानूनों को वापस लिए जाने तक अपना आंदोलन जारी रखेंगे । ’’

क्रांतिकारी किसान यूनियन के अध्यक्ष दर्शन पाल ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए आरोप लगाया कि केन्द्र विरोध प्रदर्शन को पंजाब केंद्रित आंदोलन के तौर पर दिखाना चाहता है और किसान संगठनों में फूट डालने का कार्य कर रहा है। उन्होंने बोला कि नए कानूनों के विरूद्ध भविष्य के कदमों पर निर्णय के लिए देश के दूसरे भागों के किसान संगठनों के प्रतिनिधि भी किसान संयुक्त मोर्चा में शामिल होंगे ।

आंदोलन कर रहे किसानों ने बुधवार को बोला कि नए कृषि कानूनों (Farm Laws) को निरस्त करने के लिए केन्द्र सरकार (Central Government) को संसद (Parliament) का विशेष सत्र आहूत करना चाहिए और यदि मांगें नहीं मानी गयीं तो राष्ट्रीय राजधानी की और सड़कों को अवरुद्ध किया जाएगा।