किसानों के साथ अब हो सकता है ये, सामने आई ये खबर…

अध्ययन के अनुसार जिन इलाकों में किसान संबद्ध गतिविधियों और मुर्गी पालन व्यवसाय से जुड़े है वहां किसानों द्वारा आत्महत्या (Murder) किए जाने की घटनाएं नहीं हुई हैं.

 

मैनेज (एमएएनएजीई) द्वारा किए गए एक अध्ययन को उद्धृत करते हुए उपराष्ट्रपति ने किसानों से आमदनी के अन्य साधन खोजने का आग्रह किया.

कोविड-19 (Covid-19) महामारी (Epidemic) के दौरान भी खाद्यान्न का रिकॉर्ड उत्पादन करने के लिए नायडू ने किसानों की सराहना की. किसानों ने भी उपराष्ट्रपति के साथ अपने अनुभव साझा किए.

उन्होंने कहा कि शुरुआती झिझक के बाद जैविक और प्राकृतिक खेती को अपनाने के बाद वे काफी खुश है क्योंकि उन्हें कृषि में विविधीकरण से काफी लाभ मिल रहा है.

अब ये किसान कृषि की पारंपरिक पद्धति अपना रहे हैं. उन्होंने बताया कि पारंपरिक खेती को टेक्नोलॉजी के साथ मिलाने के बाद, कम लागत पर अधिक पैदावार से उनके लाभ में भी इजाफा हुआ है. उ

न्होंने बाज़ार की उपलब्धता को सबसे जरूरी बताया. भेंट करने वाले किसानों में कुरनूल जिले के बायरापक्ष राजू 500 प्रकार के बीजों की खेती करते हैं तथा सोशल मीडिया (Media) के माध्यम से अन्य किसानों को सलाह भीदेते हैं.

किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लिए सरकार द्वारा उठाए कदमों की चर्चा करते हुए नायडू ने कृषि की उत्पादकता बढ़ाने और उसे मौसम परिवर्तन से निरापद बनाने की आवश्यकता पर बल दिया. उन्होंने फसल विविधीकरण, जैविक खेती को बढ़ाने पर भी जोर दिया.

इस संदर्भ में उन्होंने कोल्ड स्टोरेज सुविधाओं, कृषि माल ढुलाई तथा कृषि विपणन के लिए जरूरी कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि ई-नाम से कृषि उत्पादों के लिए वृहत्तर बाज़ार उपलब्ध हो सकेगा.

उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने कहा कि किसानों द्वारा उठाए जा रहे सभी मुद्दों का हल बातचीत के जरिए ही निकल सकता है. हैदराबाद में अपने निवास पर किसान दिवस के अवसर पर प्रगतिशील किसानों के एक दल से भेंट करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि किसी भी मुद्दे काहल बातचीत के जरिये ही निकाला जा सकता है और साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार ने पहले ही बता दिया है कि वो किसान संगठनों के साथ संवाद के लिए सदैव तैयार है. उन्होंने कहा कि देश की प्रगति और खाद्य सुरक्षा कृषि पर निर्भर हैं, अतः ज़रूरी है कि कृषि को टिकाऊ और लाभकारी बनाया जाये.