किसानों आंदोलन के बीच चली गोली , देख सरकार के भी छूटे पसीने

बाबा राम सिंह ने अपने पास एक सुसाइड नोट भी लिख रखा था, जो पंजाबी भाषा में है। इस नोट में उन्होंने किसानों की हालत पर दुख जताया है। उन्होंने लिखा कि मैंने किसानों का दुख देखा, वो कई दिनों से अपने हक के लिए सड़कों पर हैं।

 

फिर भी सरकार उन्हें न्याय नहीं दे रही। जुल्म करना और सहना दोनों पाप हैं। किसी ने भी किसानों के हक के लिए कुछ नहीं किया। उन्होंने आगे लिखा कि कई लोगों ने किसानों के लिए अपने पुरस्कार वापस किए, ये जुल्म के खिलाफ एक आवाज है। वाहेगुरु जी का खालसा, वाहेगुरु जी की फतेह।

जानकारी के मुताबिक किसानों के प्रदर्शन में शामिल होने के लिए 65 वर्षीय किसान और संत बाबा राम सिंह भी सिंघु बॉर्डर पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने वहां पर खुद को गोली मार ली।

आसपास मौजूद लोगों ने उन्हें पास के एक निजी अस्पताल में भर्ती करवाया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। वो करनाल जिले के निसिंग इलाके के सिंघरा गांव में रहते थे। किसान होने के साथ वे एक संत भी थे, जिनके बड़ी संख्य में अनुयायी भी हैं।

नए कृषि कानून के खिलाफ पंजाब और हरियाणा के किसानों का आंदोलन पिछले तीन हफ्तों से जारी है। दिल्ली में प्रदर्शन की इजाजत नहीं मिलने पर किसान संगठनों ने सिंघु बॉर्डर पर ही मोर्चा खोल दिया। इस बीच बुधवार शाम एक दर्दनाक घटना हुई, जहां एक किसान और संत बाबा राम सिंह ने आत्महत्या कर ली।

जिसके बाद वहां काफी देर तक अफरा-तफरी का माहौल रहा। किसान संगठनों ने बाबा राम सिंह की मौत के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। साथ ही सभी प्रदर्शनकारी किसानों से संयम बरतने की अपील की जा रही है।