किन वजहों से हो सकती है रोड दुर्घटना , इससे रहे सावधान

भारत में हर वर्ष बड़ी संख्या में लोगों की मौत सड़क हादसों में हो जाती है. जिसका कारण समय पर उचित उपचार न मिलना है. ज्यादातर आंकड़ें युवाओं के आते हैं. इनमें सिर फटने, अधिक रक्तस्त्राव होने या फिर हाथ-पैर या अन्य भाग की हड्डी टूटने के मुद्दे ज्यादा हैं.

दर्द दूर करने में फिजियोथैरेपी मददगार –
प्रभावित हिस्से पर लगी चोट  उसकी गंभीरता के आधार पर फिजियोथैरेपी देते हैं. इस थैरेपी में मांसपेशियों की स्ट्रेंथ बढ़ाने  हड्डियों को जोड़े रखने पर कार्य होता है. एक्यूपंचर, इलेक्ट्रिकल सिमुलेशन  गर्म और ठंडा सेक करते हैं. उठने, बैठने और सोने के ठीक उपायों के बारे में बताते हैं. मसाज, शॉक वेव, जॉइंट मोबिलाइजेशन से दर्द दूर करते हैं. सप्ताह या दस दिन में मांसपेशियों में आई चोट में सुधार होने लगता है.

एबीसी जाँच कर अस्पताल ले जाएं –
सड़क हादसे के दौरान किसी आदमी को अस्पताल ले जाने से पहले एबीसी (एयरवे यानी सांस ले रहा है या नहीं, ब्रीदिंग यानी सीना फूल रहा है या नहीं और सर्कुलेशन यानी हार्ट पंप कर रहा है या नहीं) देखें. फ्रैक्चर है तो तख्ता लगाकर पैर सीधा करें.

दो प्रकार के फ्रैक्चर –
किसी भी दुर्घटना में दो तरह के फ्रैक्चर होते हैं. ओपन और क्लोज. बाहरी रूप से चोट लगने या घाव होने के साथ हड्डी बाहर निकलने से ओपन फ्रैक्चर खतरनाक है. वहीं क्लोज फ्रैक्चर में केवल हड्डी टूटती है मांसपेशी को ज्यादा नुकसान नहीं होता. ओपन में संक्रमण का खतरा रहता है जिसका लंबा उपचार चलता है. इसमें कई बार प्लेट (रॉड) लगाने की आवश्यकता पड़ती है. इसमें फिजियोथैरेपी भी अधिक समय तक देने की आवश्यकता होती है.

ये ध्यान रखें –
किसी भी फै्रक्चर को अच्छा होने में लगभग तीन महीने का समय लगता है. ऐसे में यदि पैर में फ्रैक्चर हुआ है तो उसपर वजन न डालें. हाथ में है तो उससे कोई वजन न उठाएं. मरीज को ज्यादा हिलाएं-डुलाएं नहीं, समस्या बढ़ सकती है. प्रभावित जोड़ या अंग का हल्का मूवमेंट करें.