कारोबार की दुनिया में रोज सफलता के नए झंडे गाड़ रहे मुकेश अंबानी

बड़ा भाई जहां कारोबार की दुनिया में रोज सफलता के नए झंडे गाड़ रहा है, वहीं छोटे भाई अनिल अंबानी दिवालिया होने के कगार पर पहुंच गए हैं। वित्तीय हालत इतनी खस्ता हो चुकी है कि अनिल अंबानी के मालिकाना हक वाली कंपनी RCom महज 500 करोड़ रुपये का भी कर्ज चुकाने में भी लाचार है।


भारी-भरकम निवेश और अति प्रतिस्पर्धा से कंपनी पर कर्ज दिन-प्रतिदिन कर्ज बढ़ता गया, जो आज की तारीख में लगभग 47,000 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है। दूरसंचार क्षेत्र में मुकेश अंबानी की कंपनी Jio की इंट्री (सितंबर 2016) आरकॉम के ताबूत की अंतिम कील साबित हुई।

अनिल अंबानी ने शुरुआत से टेलिकॉम बिजनस के विस्तार पर फोकस किया, क्योंकि बंटवारे में बड़े भाई मुकेश अंबानी को ऑइल और गैस का कारोबार मिला था। साल 2005 में आरकॉम मिलने के बाद अनिल अंबानी ने साल 2006 में इसे शेयर बाजार पर सूचीबद्ध कराया।

लेकिन इस क्षेत्र के बेहद चुनौतीपूर्ण प्रकृति का होने और भारी-भरकम निवेश की जरूरत की वजह से कंपनी पर इसका असर पड़ना शुरू हो गया। बाजार 2जी वॉइस से 3जी और 4जी इंटरनेट की तरफ शिफ्ट हो रहा था। नई प्रौद्योगिकी के लिए उपकरणों और स्पेक्ट्रम खरीदने के लिए भारी-भरकम निवेश की जरूरत थी।

इस बीच आरकॉम को तथाकथित जीएसएम लॉबी से भी निपटना था, जिनमें एयरटेल, वोडाफोन और आइडिया जैसी कंपनियां शामिल थीं। अति प्रतिस्पर्धा और आक्रामक निवेश का असर कंपनी पड़ना शुरू हो गया, जो अंततः भारी कर्ज के रूप में सामने आया और अनिल अंबानी को इस कर्ज से कभी छुटकारा नहीं मिल पाया।