कामयाबी के सफर पर निकला चंद्रयान-2 कैमरे में कैद करके भेजी भूमि की ऐसी तस्‍वीरें

 भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) ने रविवार को चंद्रयान-2 से खींची गई पृथ्वी की कुछ फोटो रिलीज कीं. अंतरिक्ष में पृथ्वी की बाहरी कक्षा से खींची गई इन फोटोज को चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर में लगे एलआई-4 कैमरे से 3 अगस्त को शाम 5:28 से 5:37 बजे के बीच खींचा गया.

इसरो ने ट्वीट में इन्हें चंद्रयान-2 द्वारा खींची पहली तस्वीरों का सेट बताया. दरअसल, पिछले सप्ताह इंटरनेट पर कुछ  फोटोज को चंद्रयान-2 द्वारा खींची पहली फोटो बताया था.हालांकि, गूगल पर रिवर्स इमेज सर्च में सामने आया था कि उस समय की ज्यादातर फोटोज नासा की वेबसाइट से हैं. इसके अतिरिक्त कुछ फोटोज इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में स्थित एसट्रोनॉट्स ने ली थीं. यहां तक की खुद इसरो ने भी साफ किया था कि उसने चंद्रयान-2 की कोई तस्वीर नहीं शेयर की है.

इसरो के मुताबिक, चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर के हिस्से में दो कैमरे रखे हैं. एक ऑर्बिटर हाई रिजॉल्यूशन कैमरा (ओएचआरसी)  एक टैरेन मैपिंग कैमरा-2 (टीएमसी-2). ओएचआरसी चंद्रयान-2 की लैंडिंग साइट की हाई रिजॉल्यूशन फोटो लेगा, जिससे वैज्ञानिक लैंडर का मार्ग तय कर सकेंगे.

14 अगस्त को पृथ्वी की कक्षा छोड़ेगा चंद्रयान-2
इसरो के चेयरमैन के सिवन ने बताया था कि अगले एक से डेढ़ महीने में चंद्रयान-2 को चंद्रमा के पास पहुंचाने के दौरान 15 अहम टेस्ट किए जाएंगे. चंद्रयान-2 करीब आठ दिन तक पृथ्वी की आखिरी कक्षा में चक्कर लगाएगा  इसके बाद 14 अगस्त को बाहर निकलकर चांद की कक्षा की तरफ बढ़ जाएगा. चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर चांद की कक्षा में पहुंचने के बाद सतह से 100 किमी की दूरी पर अलग हो जाएगा. इसके बाद विक्रम लैंडर  प्रज्ञान रोवर 3 सितंबर को मुख्य स्पेसक्राफ्ट से अलग होकर निचली कक्षा में पहुंचेंगे  आखिर में 7 सितंबर को चांद की सतह पर उतर जाएंगे.

चंद्रयान-2 का वजन 3,877 किलोग्राम
चंद्रयान-2 को हिंदुस्तान के सबसे शक्तिशाली जीएसएलवी मार्क-III रॉकेट से लॉन्च किया गया. इस रॉकेट में तीन मॉड्यूल ऑर्बिटर, लैंडर (विक्रम)  रोवर (प्रज्ञान) हैं. इस मिशन के तहत इसरो चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर को उतारने की योजना है. इस बार चंद्रयान-2 का वजन 3,877 किलो है. यह चंद्रयान-1 मिशन (1380 किलो) से करीब तीन गुना ज्यादा है.लैंडर के अंदर उपस्थित रोवर की गति 1 सेमी प्रति सेकंड है. इसरो प्रमुख के मुताबिक, आखिर के 15 मिनट में सुरक्षित लैंडिंग कराने के दौरान वैज्ञानिक सबसे ज्यादा डर अनुभव करेंगे.

चंद्रयान-2 मिशन क्या है? यह चंद्रयान-1 से कितना अलग है?
चंद्रयान-2 वास्तव में चंद्रयान-1 मिशन का ही नया संस्करण है. इसमें ऑर्बिटर, लैंडर (विक्रम)  रोवर (प्रज्ञान) शामिल हैं. चंद्रयान-1 में सिर्फ ऑर्बिटर था, जो चंद्रमा की कक्षा में घूमता था. चंद्रयान-2 के जरिए हिंदुस्तान पहली बार चांद की सतह पर लैंडर उतारेगा. यह लैंडिंग चांद के दक्षिणी ध्रुव पर होगी. इसके साथ ही हिंदुस्तान चांद के दक्षिणी ध्रुव पर यान उतारने वाला पहला देश बन जाएगा.