कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पेट्रोल डीजल पर दे डाला ये बयान, हैरानी में पड़ी पुरी दुनिया

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी और उनकी माताजी श्रीमती सोनिया गांधी ने दो अप्रैल को ही लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी का घोषणा पत्र जारी किया। इसमें आसमान से तारे तोड़ कर लाने वाले वायदे किए गए। कई वायदे तो लोगों के सिर के ऊपर से गुजर गए।

राहुल वायदों को तभी पूरा कर पाएंगे, जब वे देश के प्रधानमंत्री बनेंगे। पूरे पांच वर्ष कांग्रेस के नेता और स्वयं राहुल गांधी पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों पर मोदी सरकार पर हमला बोलते रहे, लेकिन अब जब चुनाव का मौका आया तो तेल के मुद्दे पर राहुल चुप हैं। घोषणा पत्र में भी मूल्यवृद्धि पर कोई चिंता प्रकट नहीं की गई है। जबकि सरकार को सबसे ज्यादा आय तेल से ही हो रही है।

भारत में रोजाना 12 करोड़ लीटर पेट्रोल तथा 27 करोड़ लीटर डीजल की खपत है। यानि 39 करोड़ लीटर तेल की खपत है। सरकारी तेल कंपनियां मुकेश अंबानी की रिफायनरी और अन्य स्थानों से 30 से 35 रुपए प्रति लीटर पेट्रोल डीजल खरीदती है। केन्द्र और राज्य सरकारें जो टैक्स वसूलती है उसी की वजह से उपभोक्ता को 73 रुपए प्रति लीटर पेट्रोल तथा 68 रुपए प्रति लीटर डीजल खरीदना पड़ रहा है। गणित के जानकारों के अनुसार सरकार को रोजाना एक लाख करोड़ रुपए का फायदा हो रहा है। यह किसी भी लोकतांत्रिक सरकार के लिए उचित नहीं है कि वह इतना मुनाफा कमाए।

राहुल गांधी 72 हजार रुपए प्रतिवर्ष 5 करोड़ गरीबों के बैंक अकाउंट में डालने का वायदा कर रहे हैं। अच्छा होता है कि राहुल गांधी तेल के टैक्स को भी घटाने की बात करते हैं। आखिर अब गरीब की परिभाषा क्या है? पिछले 70 वर्षों से गरीबी हटाने की बात की जा रही है और आज भी दो वक्त की रोटी के लिए प्रतिवर्ष 72 हजार रुपए देने की बात की जा रही है।

राजनेता घोषणाएं तो ऐसे करते हैं जैसे इनके पूर्वज खजाना छोड़ गए हैं। तेल के मामले को ही देखें तो जाहिर है कि आम आदमी से वसूली कर सरकारें वोट बंटोरने का कार्य कर रही है। यदि राहुल गांधी को आम आदमी को राहत देनी है तो तेल पर से टैक्स कम करना होगा।