कर्नाटक में बनने जा रहा है नेताओ का सबसे बड़ा ये…

कांग्रेस के भीतर घमासान मचा है। एक तरफ राहुल गांधी के कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष पद से त्याग पत्र देने के बाद नए अध्यक्ष का मसला अभी तक नहीं सुलझा है।

वहीं कर्नाटक में दो निर्दलीय विधायकों के मंत्रीपद से इस्तीफे व उसके बाद कांग्रेस-जेडीएस के सभी 20 मंत्रियों के मंत्री पद से इस्तीफे के बाद कर्नाटक की सरकार पर संकट पैदा हो गया है। कर्नाटक के कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन के सामने अपनी सरकार बचाए रखने की चुनौती है। वहीं भाजपा अपने पास 107 विधायकों को होने का दावा कर रही है। लेकिन वैसे वेट एंड वॉच की स्थिति में है। भाजपा अपने 105 विधायकों के साथ 2 व विधायकों के समर्थन का दावा कर रही है। दो निर्दलीय विधायकों ने गवर्नर से मिलकर भाजपा का समर्थन करने की बात कही है।

कैसे प्रारम्भ हुई राजनीतिक हलचल ?

दो निर्दलीय विधायकों एच नागेश व आर शंकर के मंत्री पद से त्याग पत्र देने के बाद कर्नाटक की सरकार के सामने कठिन आ गई। इन दोनों को 14 जुलाई को ही मंत्रीमंडल में शामिल किया गया था। शनिवार को कांग्रेस पार्टी के 10 व जेडीएस के 3 विधायकों ने भी त्याग पत्र दे दिया। इसके बाद विधानसभा में कांग्रेस पार्टी जेडीएस गठबंधन का संख्याबल 104 ही रह गया है। वैसे कांग्रेस पार्टी के पा 69 व जेडीएस के पास 34 विधायक हैं। एक विधायक बसपा का है। वहीं भाजपा के पास 107 ( भाजपा 105+ निर्दलीय 2 ) विधायक हैं। कर्नाटक विधानसभा का संख्याबल कुल 224 सदस्यों का है।

अब राजनीतिक दशा कैसे बनने वाले हैं ?

अब सबकी नजर कांग्रेस पार्टी विधानमंडल की मीटिंग पर रहेगी। इसमें सभी विधायक अपने विचार रखेंगे। इसमें डिप्टी मुख्यमंत्री जी परमेश्वरा के साथ पूर्व सीएम सिद्धारमैया, मंत्री डीके शिवकुमार जैसे कांग्रेस पार्टी के रणनीतिकार भी शामिल होंगे। बागी विधायक स्पीकर के आर रमेश के सामने अपने इस्तीफे की वजह बताएंगे। देखना होगा कि स्पीकर इनके इस्तीफे पर क्या निर्णय लेते हैं।

कांग्रेस-जेडीएस अपने मंत्रिमंडल का फिर से गठन करेगी। कांग्रेस पार्टी की ओर से बोला गया है कि मंत्रीमंडल के फिर से गठन के बाद राजनीतिक दशा सामान्य हो जाएंगे। वो भाजपापर विधायकों के खरीद-फरोख्त व उन्हें मंत्रीपद देने का लालच देने के आरोप लगा रहे हैं।

कांग्रेस के महासचिव केसी वेणुगोपाल की तरफ से बोला गया है कि ‘कुछ विधायकों की शिकायत थी। कुछ विधायक मंत्रीमंडल का विस्तार चाह रहे थे। पार्टी के हित को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस पार्टी के मंत्रियों ने स्वेच्छा से त्याग पत्र दिया है। जिन लोगों ने त्याग पत्र दिया है वो वापस लौटकर पार्टी को मजबूत करेंगे। हम पूरी तरह से आश्वस्त हैं कि वो वापस लौटेंगे व हमें पूरा विश्वास है कि सरकार पहले की तरह चलती रहेगी। पिछले एक वर्ष के दौरान भाजपा की सरकार को गिराने की छठी प्रयास नाकाम होगी। ’

विधानसभा में कांग्रेस पार्टी के नेता सिद्धारमैया ने बोला है कि ‘मैं चाहता हूं कि कांग्रेस पार्टी के जिन विधायकों ने मंत्री नहीं बनाए जाने की वजह से त्याग पत्र दिया है वो मिल बैठकर मुद्देका निवारण निकालें। उनकी शिकायतें सुनी जाएंगी। उन्हें जल्दबाजी में कोई निर्णय नहीं लेना चाहिए। इस बार के फेरबदल के बाद हम चाहेंगे कि फेरबदल हो ताकि सभी की शिकायतें सुनी जा सकें। ’

वहीं सीएम कुमारस्वामी का बोलना है कि इस पॉलिटिक्स हलचल से उन्हें जरा भी डर नहीं है। वो अपनी जिम्मेदारियों को निभाने में लगे हैं। उन्होंने बोला है कि वो किसी भी तरह की राजनीतिक उलटफेर के बारे में नहीं बोलेंगे। मुझे भाजपा या उनके लोग जो कर रहे हैं उनके बारे में कुछ भी नहीं बोलना है।

क्या बची रह पाएगी कुमारस्वामी की सरकार?

बताया जा रहा है कि कांग्रेस पार्टी के दो बागी विधायक लौट सकते हैं। विधायक सौम्या रेड्डी दिल्ली में कांग्रेस पार्टी नेताओं से मुलाकात करने के बाद बेंगलुरु लौट आई हैं। वो विधानमंडल की मीटिंग में भाग ले सकती हैं। सौम्या रेड्डी व उनके पिता रामलिंगा रेड्डी बागी विधायकों के गुट में थे। कुमारस्वामी ने कांग्रेस पार्टी नेताओं से रेड्डी से वार्ता की अपील की थी। उनके मुताबिक इससे कम से कम 5 विधायक वापस लौट सकते हैं।

जेडीएस भी अपने विधायकों को एकजुट बनाए रखने में लगी हुई है। कांग्रेस पार्टी की तरह ही वो मीटिंग करने वाले हैं। ताकि 12 जुलाई को जब विधानसभा का सेशन प्रारम्भ हो तो गठबंधन का संख्याबल बना रहे।