करतारपुर कॉरीडोर के निर्माण को लगा ग्रहण

पंजाब के गुरदासपुर जिला स्थित सीमा क्षेत्र को पाकिस्तान स्थित करतारपुर साहिब गुरुद्वारा से जोडऩे वाले करतारपुर कॉरीडोर के निर्माण को ग्रहण लगता दिख रहा है। इस कॉरीडोर के निर्माण को हरी झंडी देने वाले इमरान खान का पाकिस्तान में ही विरोध शुरू हो गया है। जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम-एफ (JUI-F) के प्रमुख मौलाना फजलुर रहमान ने कहा कि प्रधानमंत्री इमरान खान ने संसद को विश्वास में लिए बिना ही भारत के साथ करतारपुर कॉरीडोर को खोलने को हरी झंडी दी है।

पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक 2 दिसम्बर को डेरा इस्माइल खान में रहमान ने कहा कि भारत पाकिस्तान के साथ जुड़े रूट को बंद कर रहा था लेकिन तहरीक-ए-इंसाफ सरकार भारत के नागरिकों को पाकिस्तान आने के लिए एकतरफा कदम उठा रही थी। करतारपुर कॉरीडोर को उनके (इमरान खान) विदेशी मालिकों खासकर अल्पसंख्यक समूहों को खुश करने के लिए खोला गया है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि पाकिस्तान को इस एकतरफा कदम की कीमत चुकानी पड़ेगी।

सरकार को यह कदम उठाने से पहले संसद को अपने विश्वास में लेना चाहिए था। उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि भारत को कॉरीडोर उपलब्ध करवाना और कश्मीर मुद्दे को पीछे धकेल देना क्या देशभक्ति का परिचायक है? पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने 28 नवम्बर को सीमा पर अपनी ओर करतारपुर गलियारे की आधारशिला रखी थी। पाकिस्तान ने सिख श्रद्धालुओं के लिए ऐतिहासिक करतारपुर कॉरीडोर के शिलान्यास के बाद करतारपुर सीमा पर एक आव्रजन केंद्र स्थापित किया है।

सिख समुदाय की लंबे समय से अटकी मांग को पूरा करते हुए यह कॉरीडोर पाकिस्तान के करतारपुर स्थित दरबार साहिब को भारत के गुरदासपुर जिले के डेरा बाबा नानक गुरुद्वारे से जोड़ेगा। संघीय जांच एजैंसी (एफ.आई.ए.) के उपनिदेशक (पंजाब) मुफखर अदील ने कहा कि चूंकि सीमा पार कराने वाला स्थान, ‘आतंकवादियों, मानव तस्करों और मादक पदार्थ विक्रेताओं’ के लिए एक आसान निशाना बन सकता है इसलिए सीमा के दोनों तरफ स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए एक मजबूत प्रणाली की जरूरत है।