एससीओ में गए पीएम मोदी ने पाकिस्तान को किया बेनकाब

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एससीओ यानी शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन की मीटिंग में भाग ले रहे हैं ये मीटिंग किर्गिस्‍तान की राजधानी बिश्‍केक में हो रही है ये उत्सुकता स्वाभाविक है कि आखिर एससीओ है क्या हिंदुस्तान को इससे मिलेगा

एससीओ की स्थापना 23 वर्ष पहले चाइना की पहल पर हुई थी शंघाई में हुई इसकी पहली मीटिंग में इसका गठन हुआ उस समय इसमें पांच देश शामिल थे इसलिए आरंभ में इसे शंघाई फाइव के नाम से जाता था ये पांच देश थे चीन, रूस, कज़ाकस्तान, किर्गिस्तान  ताजिकिस्तान इसका गठन आपसी सहयोगी  नस्लीय  धार्मिक तनाव से निपटने के लिए हुआ था एससीओ को इस समय संसार का सबसे बड़ा क्षेत्रीय संगठन माना जाता है

हालांकि शुरुआती तौर पर इसका मकसद मध्य एशिया के नए आज़ाद हुए राष्ट्रों के साथ लगती रूस  चाइना की सीमाओं पर तनावों को रोकना था सीमा संबंधी सुधार  निर्धारण भी किए जाएं तीन वर्षों में इसने बहुत ज्यादा अच्छा कार्य किया फिर इसे नया स्वरूप दिया गया, जिसे शंघाई को-ऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन बोला गया

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क्या था शुरुआती उद्देश्य
1996 में जब शंघाई इनीशिएटिव के तौर पर इसकी आरंभ हुई थी तब सिर्फ़ ये ही उद्देश्य था कि मध्य एशिया के नए आज़ाद हुए राष्ट्रों के साथ लगती रूस  चाइना की सीमाओं पर कैसे तनाव रोका जाए  धीरे-धीरे किस तरह से उन सीमाओं को सुधारा जाए  उनका निर्धारण किया जाए

ये मक़सद सिर्फ़ तीन वर्ष में ही हासिल कर लिया गया इसकी वजह से ही इसे काफ़ी प्रभावी संगठन माना जाता है अपने उद्देश्य सारे करने के बाद उज़्बेकिस्तान को संगठन में जोड़ा गया  2001 से एक नए संस्थान की तरह से शंघाई को-ऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन का गठन हुआ

फिर इसका नया स्वरूप क्या हुआ
इस नए संगठन में उजबेकिस्तान को भी जोड़ लिया गया अब उसमें आर्थिक योगदान  व्यापार बढाने पर भी जोर दिया गया तब ये माना गया कि चाइना  रूस ने एक तरह से अमेरिकी प्रभुत्व वाले नाटो के जवाब में ये संगठन बनाया है एससीओ के नए उद्देश्यों में ऊर्जा पूर्ति से जुड़े मुद्दों पर ध्यान देना  आतंकवाद से लड़ना बन गया

भारत  पाक 2017 में पूर्ण मेम्बर बने
आने वाले समय में जब एससीओ का  विस्तार बना तो हिंदुस्तान के साथ कई अन्य देश भी इसमें शामिल हो गए हिंदुस्तान वर्ष 2017 में एससीओ का पूर्णकालिक मेम्बर बना2005 से इसमें पर्यवेक्षक देश का पंजीकृत ा हासिल था

2017 में एससीओ की 17वीं शिखर मीटिंग में इस संगठन के विस्तार की प्रक्रिया के एक जरूरी चरण के तहत हिंदुस्तान  पाक को मेम्बर देश का पंजीकृत ा दिया गया अब इसके सदस्यों की संख्या आठ हो चुकी है अब शंघाई योगदान अब एससीओ में चीन, रूस के बाद हिंदुस्तान तीसरा सबसे बड़ा देश है हिंदुस्तान का कद अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ रहा है इस वर्ष के प्रारम्भ में एससीओ की बैठक हिंदुस्तान में भी हो चुकी है

एससीओ में मेम्बर  सहयोगी राष्ट्रों की स्थिति
वैसे एससीओ के आठ मेम्बर चीन, कज़ाकस्तान, किर्गिस्तान, रूस, तज़ाकिस्तान, उज़्बेकिस्तान, हिंदुस्तान  पाक हैं इसके अतिरिक्त अफ़ग़ानिस्तान, बेलारूस, ईरान  मंगोलिया इसके आब्जर्बर मेम्बर हैं छह डायलॉग सहयोगी अर्मेनिया, अज़रबैजान, कंबोडिया, नेपाल, श्रीलंका  तुर्की हैं एससीओ का मुख्यालय चाइना की राजधानी बीजिंग में है

भारत को क्या लाभ होगा
भारतीय हितों की जो चुनौतियां हैं, चाहे वो आतंकवाद हों, ऊर्जा की आपूर्ति या प्रवासियों का मामला हो ये मामले हिंदुस्तान  एससीओ दोनों के लिए अहम हैं  इन चुनौतियों के निवारण की प्रयास हो रही है ऐसे में हिंदुस्तान के जुड़ने से एससीओ  हिंदुस्तान दोनों को परस्पर फ़ायदा होगा हिंदुस्तान ने आतंकवाद को लेकर अपना कड़ा रुख़ बरकरार रखा है

पीएम मोदी की प्रयास भी होगी कि आतंकवाद को लेकर उनके कड़े रुख़ को शंघाई योगदान संगठन यानी एससीओ के सभी नेताओं का समर्थन भी मिले इसलिए ये शिखर सम्मेलन हिंदुस्तान के लिए काफ़ी अहम है