एनआरएससी क्लब में होगी मुस्लिम विश्वविद्यालय कोर्ट की बैठक

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय कोर्ट की बैठक 2 दिसंबर को एनआरएससी क्लब में होने जा रही है। इसमें चांसलर, प्रो चांसलर एवं ऑनरेरी ट्रेजरार के चुनाव की चर्चा के बाद एएमयू की राजनीति अचानक गरमा गई है। अभी चांसलर पद के लिए चार नामों की चर्चा कैंपस में है।

एएमयू कुलपति प्रो. तारिक मंसूर एवं विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने गुरुवार को बैठक कर 2 दिसंबर को प्रस्तावित एएमयू कोर्ट की बैठक की तैयारियों पर चर्चा की। चर्चा है कि उसी दिन चांसलर, प्रो चांसलर एवं ऑनरेरी ट्रेजरार का भी चुनाव होगा। हालांकि विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा चुनाव की अधिकारिक पुष्टि अभी नहीं की गई है। जनसंपर्क विभाग के एमआईसी प्रो. शाफे किदवई का कहना है कि एएमयू कोर्ट की बैठक का एजेंडा तैयार हो रहा है। 2 दिसंबर को बैठक तो है।

चुनाव के बारे में एजेंडा मिलने के बाद कुछ कह पाएंगे। वहीं कैंपस में चर्चा है कि इसी दिन चुनाव कराया जाएगा। यह भी कहा जा रहा है कि निवर्तमान चांसलर सैयदना मुफद्दल सैफुदीन एवं निवर्तमान प्रो चांसलर नवाब इब्ने सईद ऑफ छतारी को निर्विरोध चुन लिया जाए। बात नहीं बनने की स्थिति में चुनाव की संभव है। इसके अतिरिक्त कैंपस में चांसलर पद हेतु सैयदना के अतिरिक्त जस्टिस एमएसए सिद्दीकी, विप्रो के अजीम प्रेमजी, मणिपुर की राज्यपाल नजमा हेपतुल्ला एवं मानु के पूर्व चांसलर जफर सरेशवाला के नाम की चर्चा कैंपस में है।

ऑनरेरी ट्रेजरार पद पर प्रो. एस फारुख, सिराजुद्दीन कुरैशी एवं पद्मश्री प्रो. सैयद जिल्लुर्रहमान के नाम की चर्चा है। उल्लेखनीय है कि एएमयू चांसलर का कार्यकाल तीन साल के लिए होता है। पूर्व कुलपति ले. जनरल (सेवानिवृत्त) जमीरउद्दीन शाह के कार्यकाल में चांसलर पद के लिए चुनाव हुआ था। उसमें सैयदना मुफद्दल सैफुदीन ने एएमयू के कुलपति रह चुके पद्मश्री महमूद उर रहमान को पराजित कर चांसलर बने थे।

नवनिर्वाचित कोर्ट सदस्य राष्ट्रपति से करेंगे शिकायत

सोशल साइंस फैकल्टी के नवनिर्वाचित कोर्ट सदस्य सलमान कहते है कि वह राष्ट्रपति से चुनाव की शिकायत करेंगे। उनका कहना है कि नवनिर्वाचित कोर्ट सदस्यों का कार्यकाल 2 जनवरी से शुरू हो रहा है। इसकी वजह से छात्र प्रतिनिधि के रूप में नवनिर्वाचित 11 कोर्ट सदस्य कोर्ट की बैठक में शामिल नहीं हो पाएंगे। पूर्व में निर्वाचित सदस्य ही मतदान में भी हिस्सा लेंगे। उनका कहना है कि नियमानुसार चुनाव के 45 दिन पहले कोर्ट सदस्यों के पास एजेंडा भेज देना चाहिए।