उम्र के हिसाब से करे फिटनेस ,यहा जाने टिप्स

मांसपेशियों की स्ट्रेंथ/स्पीड/लचीलापन बढ़ाना –
फिटनेस एक्सपर्ट के अनुसार अभ्यास प्रारम्भ करने के लिए कोई भी आयु कम नहीं होती.लेकिन बचपन में स्पोट्र्स से फिटनेस प्लान प्रारम्भ करना एक अच्छा आइडिया है. इस आयु में भागदौड़, टेनिस, बैडमिंटन, क्रिकेट  कबड्डी जैसे आउटडोर गेम्स में दिलचस्पी लेनी चाहिए. इस आयु में ट्रेनर का पूरा फोकस मसल्स की मजबूती, लचीलापन  स्पीड पर होना चाहिए. जिम में मशीन का ज्यादा इस्तेमाल करके शरीर को तनाव न दें. स्ट्रैचिंग, लंजिंग और क्रॉलिंग जैसी गतिविधियों में बच्चों को शामिल करें. फुल बॉडी स्ट्रेच पर भी विचार करें. कई न्यूट्रीशनिस्ट के अनुसार किशोरों में अपनी बॉडी इमेज को लेकर बहुत ज्यादा जागरूकता होती है. ऐसे में संतुलित डाइट लें.

20 से 30 साल तक –
फोकस: बोन डेंसिटी  मजबूत मांसपेशियां –
अगर आपकी आरंभ अच्छी रही है तो इस आयु में आप बहुत ज्यादा फिट रहेंगे. लेकिन साथ ही आपको बढ़ती आयु के प्रभावों का भी सामना करना पड़ेगा. इसके लिए कार्डियो वर्कआउट के साथ वेट ट्रेनिंग भी महत्वपूर्ण है. इससे मांसपेशियों को मजबूती  हड्डियों को ताकत मिलती है. इनसे भविष्य में होने वाली ओस्टियोपोरोसिस बीमारी से लड़ने में मदद मिलेगी. इसलिए मशीन पर वर्कआउट करने के बजाय वेट लिफ्टिंग करें. इस आयुमें कॉलेज जीवन के साथ वर्किंग जीवन भी प्रारम्भ होती है. इसलिए शरीर में ऊर्जा बनाए रखने के लिए प्रोटीन  कार्बोहाइड्रेट का ठीक संतुलन रखें. साथ ही कैल्शियम औरविटामिन्स संतुलित मात्रा में लें.

40 से 50 साल तक-
फोकस : पेट की चर्बी नियंत्रित करने पर –
इस आयु में वर्कआउट प्लान शुरुआती दिनों जैसा ही रहेगा. इस दौरान पेट की चर्बी नियंत्रित रखें. यह समस्या एंडोक्राइनल सिस्टम से जुड़ी है. पुरुषों में टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन कम होने से मांसपेशियों  हड्डी के जोड़ पर प्रभाव होता है. वहीं स्त्रियों में मेनोपॉज का वक्त समीप होने से एस्ट्रोजन की कमी से हड्डियां निर्बल होने लगती हैं. ऐसे में उन अभ्यास को चुनें जिसे दो मिनट करने के बाद आपको रुकना पड़े. एक मिनट के आराम के बाद इसे दोहराएं. बॉडी फैट कम करने का यह बेहतरीन वर्कआउट है. नर्वस सिस्टम के साथ शरीर के अन्य अंगों का काम बेहतर होता है. इस आयु में शरीर को एंटीऑक्सीडेंट्स की आवश्यकता ज्यादा होती है.

50 पार की उम्र-
फोकस: कार्डियोवैस्कुलर फंक्शन/बोन डेंसिटी/मसल्स मास बढ़ाना –
आमतौर पर इस आयु में फेफड़े और दिल को रक्त की पंपिंग और पोषक तत्त्व मांसपेशियों तक भेजने में अधिक मेहनत करनी पड़ती है. ऐसे में वॉकिंग, जॉगिंग, स्वीमिंग  साइक्लिंग करें. मसल लॉस रोकने और बोन डेंसिटी बेहतर करने के लिए वेट ट्रेनिंग महत्वपूर्ण है. लोअर बॉडी की हड्डियों का घनत्व बढ़ाने के लिए स्क्वैट्स औरलंजेज  अपर बॉडी के लिए शोल्डर प्रेस करें. रेगुलर वर्कआउट से इस आयु में होने वाले लोअर बैक पेन, गर्दन-घुटने में दर्द से बच सकते हैं. योगाभ्यास कर सकते हैं. डाइट में ओमेगा-3 फैटी एसिड (अखरोट/कद्दू के बीज आदि) लें. इस आयु में सलाद, फलों का रस, नारियल पानी आदि प्रचुर मात्रा में लें.