उत्तर प्रदेश में 2022 के चुनाव में बीजेपी अपनायेगी ये नया फार्मूला

उत्तर प्रदेश में सरकार  बीजेपी संगठन में एक साथ फेरबदल की तैयारी की जा रही है. इसके चलते प्रदेश सरकार में मंत्री बनने की ख़्वाहिश रखने वाले विधायकों  विधान परिषद सदस्यों का इंतजार कुछ आगे बढ़ सकता है.

पहले इशारा थे कि केंद्रीय मंत्रिमंडल के गठन के बाद ही मध्य जून तक प्रदेश मंत्रिमंडल में भी फेरबदल के कार्य को भी पूरा कर लिया जाएगा. पर, बदली परिस्थितियों में बीजेपी के रणनीतिकारों ने संगठन  सरकार के पुनर्गठन या फेरबदल का कार्य एक साथ पूरा करने का निर्णय किया है. इसकी वजह से कुछ वक्त लग सकता है.

प्रदेश में 19 मार्च 2017 को सीएम योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में 47 सदस्यीय मंत्रिमंडल ने शपथ ली थी. तभी यह उम्मीद जताई गई थी कि आने वाले दिनों में मंत्रिमंडल विस्तार में कुछ अन्य विधायकों और विधान परिषद सदस्यों को मंत्री बनाकर क्षेत्रीय  जातीय संतुलन को  दुरुस्त किया जाएगा. पर, यह इंतजार खिंचते-खिंचते लोकसभा चुनाव के पार आ पहुंचा. कई कारणों से यह फेरबदल टलता गया.

इस बीच, प्रदेश सरकार से एक मंत्री ओमप्रकाश राजभर की बर्खास्तगी हो गई. तीन अन्य मंत्री डॉ रीता बहुगुणा जोशी, सत्यदेव पचौरी  डॉ एस पी सिंह बघेल भी सांसद चुने जा चुके हैं. मतलब मंत्रिमंडल में अब चार जगहें  खाली हो चुकी हैं. जिनके जगह पर नए लोगों को जिम्मेदारी मिलनी है.

इसलिए सरकार फेरबदल

इसके अतिरिक्त कुछ मंत्रियों के कामकाज को लेकर नेतृत्व के पास शिकायतें पहुंची हैं. इनमें कुछ के विभागों में फेरबदल होगा तो कुछ को नयी किरदार सौंपी जा सकती है. अच्छा कार्य करने वाले कुछ स्वतंत्र प्रभार प्रदेश मंत्रियों को तरक्की देकर कैबिनेट मंत्री तो कुछ प्रदेश मंत्रियों को स्वतंत्र प्रभार मंत्री बनाया जाना है. कुछ मंत्रियों की सांगठनिक क्षमता देखते हुए उन्हें सरकार से संगठन में भेजने का निश्चय किया जा चुका है.
पार्टी नेतृत्व का मानना है कि ये सरकार में उतने प्रभावशाली ढंग से कार्य नहीं कर पा रहे हैं जितने प्रभावी ढंग से संगठन में कार्य करते थे. कुछ विधायकों  विधान परिषद सदस्यों के संगठन में अच्छा कार्य देखते हुए उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल कर इनाम देने की तैयारी की है.
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह  प्रदेश अध्यक्ष डॉ महेन्द्र नाथ पाण्डेय के केन्द्र सरकार का भाग बन जाने के कारण दोनों ही स्थान नए अध्यक्ष बनाए जाने हैं. प्रदेश संगठन के अन्य कुछ पदाधिकारियों को भी बोर्डों  आयोगों में अध्यक्ष बनाया जा चुका है. बीजेपी के संविधान के मुताबिक, एक आदमी एक ही पद पर रह सकता है.

जाहिर है कि इनके जगह पर भी नए पदाधिकारियों की नियुक्ति की जानी है. ऐसे में बीजेपी के रणनीतिकार चाहते हैं कि संगठन  सरकार में एक साथ फेरबदल कर लिया जाए ताकि बार-बार परिवर्तन न करने पड़ें.

सूत्रों के अनुसार, शाह भले ही केन्द्र सरकार का भाग बन गए हों लेकिन इन सारे फैसलों में उनकी राय बहुत ज्यादा अहम रहेगी. इसलिए भी कुछ वक्त लग रहा है. इस बार प्र्रदेश में बीजेपी संगठन  सरकार में होने वाले परिवर्तन बहुत जरूरी हो गए हैं. इसकी एक वजह विधानसभा का आगामी चुनाव भी है. कारण, इस बार जिसे भी प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाएगा या जो लोग संगठन की टीम में आएंगे उन्हीं नेतृत्व में विधानसभा का अगला चुनाव लड़ा जाना है. जो जनवरी से मार्च 2022 के बीच होगा.