इस वजह 5,000 महिला श्रमिकों ने निकलवा दिये अपने गर्भाशय, जब ठेकेदार का…

महाराष्ट्र के मराठवाडा के बीड़ जिले में गन्ने के खेतों पर काम करने वाले पांच हजार महिला श्रमिकों के गर्भाशय निकाल दिए गए हैं। गर्भाशय इसलिए निकाले गए, ताकि मासिक चक्र के तीन चार दिनों में शरीर में कमजोर नहीं आए। शरीर में कमजोरी की वजह से महिला श्रमिक काम कम करती हैं, जिससे ठेकेदार को नुकसान होता है।

जब ठेकेदार का नुकसान होता है कि वह महिला श्रमिक की मजदूरी की राशि में से कटौती करता है। यानि निर्दयी ठेकेदार तीस दिन में तीन दिन भी कम काम को बर्दाश्त नहीं कर सकता। जब महिला के शरीर में गर्भाशय ही नहीं रहेगा तो फिर मासिक चक्र का झंझंट भी नहीं रहेगा। यानि न बांस होगा और न बांसूरी बजेगी।

इस खबर को पढऩे से ही शरीर कांप जाता है। भेदभाव देखिए सरकारी दफ्तरों में काम करने वाली महिलाओं को बच्चे के जन्म पर नौ माह तक का मातृत्व अवकाश मिलता है और दूसरी ओर गन्ना श्रमिकों के मासिक चक्र से मुक्ति पाने के लिए गर्भाशय निकाले जा रहे हैं। शर्मनाक बात तो यह है कि गर्भाशय निकालने का कार्य निजी अस्पतालों में हुआ है।

क्या ठेकेदार और अस्पताल के मालिकों चिकित्सकों को फांसी नहीं होनी चाहिए? गर्भाशय निकालने का आरोप किसी विपक्षी दल ने नहीं बल्कि महाराष्ट्र और केन्द्र में भाजपा की सरकार को समर्थन देने वाली शिवसेना ने लगाया है। महाराष्ट्र सरकार ने अब जांच कराने की बात कही है। जांच के क्या परिणाम होंगे, सबको पता है।