इस वजह से गोपाष्टमी पर की जाती है गाय की पूजा

आज यानि 16 नवबंर को गोपाष्टमी है। यह त्यौहार गाय माता को समर्पित होता है और इस दिन गाय की पूजा की जाती है। यह कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को गोपाष्टमी मनाया जाता है। माना जाता है कि इस दिन भगवान ​श्रीकृष्ण ने पहली बार गाय चराई थी।आज हम आपको गोपाष्टमी की पूजा से जुड़े कुछ बातें और इससे जुड़े की कुछ धार्मिक तथ्य बता रहे है।

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ऐसा कहा जाता है कि मां यशोदा श्रीकृष्ण को गाय चराने के लिए नहीं जाने देती थी लेकिन श्रीकृष्ण के जिद करने पर उन्होंने ऋषि शांडिल्य से कहकर एक मुहूर्त निकाला और इसके बाद उन्होंने श्रीकृष्ण को गाय चरने के लिए भेजा था। तभी से इस दिन गाय माता की पूजा की जाती है।

हमारे शास्त्रों में माना गया है कि गाय में 33 देवी देवता निवास करते है। जिसमें 12 आदित्य,11 रुद्र , 8 वसु और 2 अश्‍विन कुमार है। इन देवी देवताओं को कोटी भी कहा जाता है लेकिन यहां पर इसका अर्थ पैसों से नहीं बल्कि प्रकार से लगाया जाता है। कहा जाता है कि गाय में 33 कोटी देवी देवता निवास करते है। इसलिए इस दिन गाय की पूजा की जाती है।

पौराणिक मान्याताओं और श्रुतियों की माने तो गाय को भगवान विष्णु का रूप भी माना जाता है। साथ ही माना जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण को सारा ज्ञानकोष गोचरण से ही प्राप्त हुआ था।
माना जाता है कि भगवान शिव की प्रिय बिल्बपत्र की उत्पति गाय के गोबर से ही हुई थी।इस वजह से गाय की विशेष रूप से पूजा की जाती है।

वहीं पौराणिक कथाओं की माने तो भगवान शिव द्धार जब गणेश का सिर काट दिया गया था तो भगवान शिव ने मां पार्वती से सिर के बदले में एक गाय का दान करने का दंड दिया था।