इस वजह चुनावी रण में वाराणसी से कांग्रेस पार्टी ने पीछे लिया अपना कदम, मोदी का हुआ रास्ता साफ़

पिछले काफी दिनों से जारी चर्चाओं के बीच अब यह साफ हो चुका है सियासी मसासमर में मोदी बनाम प्रियंका का दिलचस्प मुकाबला नहीं होगा। कांग्रेस पार्टी ने वाराणसी से अजय राय को उम्मीदवार बनाया है। अजय राय साल 2014 में भी नरेंद्र मोदी के खिलाफ वाराणसी के चुनावी रण में उतरे थ। हालांकि उन्हें मुंह की खानी पड़ी थी।

उत्तर प्रदेश के इस हाई प्रोफाइल सीट से कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के चुनाव लड़ने की मांग पार्टी के हर छोटे-बढ़े कार्यकर्ताओं की जुबान पर था। प्रियंका ने खुद भी वाराणसी से चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की थी। हालंकि उन्होंने इसका फैसला पार्टी आलाकमान यानी अपने भाई कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर छोड़ दी थी। जिसके बाद से ही प्रियंका के वाराणसी से चुनाव लड़ने के कयास लगाए जा रहे थे।

लेकिन इन सभी अटकलों को खारिज करते हुए कांग्रेस पार्टी ने अजय राय को मोदी के खिलाफ एक और मौका दिया है। अगर साल 2014 के पैमाने पर 2019 को सेट करे तो वाराणसी का सियासी माहौल कुछ और इशारा करता है। साल 2014 में देश सिर्फ वाराणसी में ही नहीं बल्कि देश भर में मोदी लहर चल रही थी। नतीजा यह रहा कि बीजेपी ने अकेले उत्तर प्रदेश में 80 में से 72 सीटें जीत ली। जबकि अन्य राज्यों में आकांक्षा से अधिक प्रदर्शन किया।

अगर वाराणसी की बात करें तो साल 2014 में यहां मोदी के खिलाफ आम आदमी पार्टी की ओर से अरविंद केजरीवाल और कांग्रेस की ओर से अजय राय चुनावी मैदान में थे। लेकिम मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ रहे इन दोनों पार्टियों के दिग्गज नेताओं को जनता ने कुछ खास तवज्जो नहीं दी। 2014 के चुनाव में मोदी को कुल कुल 5.81 लाख वोट मिले, जबकि अरविंद केजरीवाल को कुल 5.81 लाख से वहीं कांग्रेस उम्मीदवार अजय राय को महज 76 हजार वोट मिले थे। जबकि 2019 में एक साथ चुनाव लड़ रही सप-बसपा के उम्मीदवारों की 2014 में जमानत जब्त हो गई थी।