इस यूनिवर्सिटी में गलती करने पर मिलती है आनोखी सजा…

हरियाली बढ़ाने  पर्यावरण के प्रति जागरूकता लाने के लिए यहां की एक यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ने अनोखा तरीका निकाला है. उन्होंने विद्यार्थियों से बोला कि वे परिसर में जो गलती करते हैं, उसकी सजा के तौर पर उन्हें एक पौधा लगाना होगा. आठ वर्ष पहले प्रारंभ हुए इस अनोखे दंड की वजह से आज वीर नर्मद साउथ गुजरात यूनिवर्सिटी में 550 हरेभरे पेड़ देखे जा सकते हैं. इनमें से कुछ तो अब 20 फुट लंबे हो चुके हैं.

प्रोफेसर मेहुल पटेल यहां आर्किटेक्चर के प्रोफेसर हैं  उनके विभाग के आसपास के इलाके में हरीतिमा का नयनाभिराम विस्तार सहज ही देखा जा सकता है. यहां एक तालाब भी बनाया गया है. प्रोफेसर पटेल बताते हैं कि इन रमणीय वातावरण में अब कई तरह की चिड़ियों को देखा जा सकता है. साथ ही फूलों का रस चूसती तितलियों  मधुमक्खियों के मनमोहक दृश्य देखे जा सकते हैं.

36 वसंत देख चुके पटेल यहां करीब सात सौ विद्यार्थियों को बेसिक डिजाइन का पाठ पढ़ाते हैं. पटेल ने बोला कि वह चाहते थे कि पर्यावरण के लिए कुछ किया जाए. ऐसे में उन्होंने विद्यार्थियों को छोटी मोटी गलती के लिए दी जाने वाली सजा के रूप में पौधों को लगाने का विचार आया.

जो विद्यार्थी क्लास में देर से आते थे या अपना असाइनमेंट देर से जमा करते थे या जब उनका फोन क्लास में बज उठता था, तो ऐसी भूलों के लिए उन्होंने पौधे लगवाने का कार्यप्रारंभ किया. पटेल बताते हैं कि उनके विद्यार्थियों के इस तरह के दंड देने से विद्यार्थी भी खुशी महसूस करते हैं. विद्यार्थी अनेरी प्रजापति ने बताया कि कक्षा में देर से पहुंचने के कारण उसने हाल ही में एक पौधा लगाया है. हमारे संकाय ने यह बहुत अच्छा  कदम उठाया है. हमें यह हरापन देख कर बहुत अच्छा लगता है.

कोलकाता स्थित जादवपुर विश्वविद्यालय प्रबंधन ने पहली बार परिसर में लगे पेड़ों की गिनती प्रारम्भ की है. विश्वविद्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने शुक्रवार को यहां इसकी जानकारी दी. सात अगस्त से प्रारम्भ हुई इस कवायद के तहत 58 एकड़ में फैले विश्वविद्यालय परिसर में स्थित पेड़ों की गिनती जीपीएस मैपिंग की सहायता से की जा रही है. उनकी वीडियोग्राफी के बाद पेड़ों पर नंबर भी डाले जा रहे हैं ताकि उनका रिकॉर्ड रह सके.
एक ऑफिसर ने बताया कि वैसे मुख्य भवन के इर्द-गिर्द के इलाकों में लगे पेड़ों की मैपिंग प्रक्रिया के जरिए गिनती की जा रही है. इस कवायद का मकसद पेड़ों की गैरकानूनी कटाई रोकना है. विश्वविद्यालय परिसर में पहली बार यह कवायद की जा रही है. इसके तहत परिसर को भिन्न-भिन्न जोन में बांट कर हर जोन में लगे पेड़ों की वीडियोग्राफी की जा रही है.यह कवायद प्रारम्भ होने के बाद अब तक कहीं से पेड़ कटने की समाचार नहीं मिली है.