ताइवान की संसद ने समलैंगिक विवाह को कानूनी रूप से मान्यता दे दी है। इस तरह के कानून को अपनाने वालों में वह एशिया का पहला देश बन गया है। सांसदों ने एक कानून पारित किया, जिससे समान-लिंग वाले जोड़ों को विवाह करने की छूट दी गई है।
द्वीप के एलजीबीटी समुदाय के लिए यह एक बड़ी जीत है, जिन्होंने वर्षों से समान समलैंगिक अधिकारों के समान विवाह के अधिकारों का प्रचार किया है। राजधानी तायपेई में संसद भवन के पास भारी बारिश के बावजूद सैकड़ों समलैंगिक एकत्र हुए।
इस मुद्दे को लेकर संसंद में वोटिंग कराई गई।
समलैंगिक विवाह को लेकर यह वोटिंग यहां की संवैधानिक कोर्ट के उस आदेश पर दो साल बाद हुई है, जिसमें अदालत ने विवाह से संबंधित मौजूदा कानून को असंवैधानिक घोषित करा था। यह कानून एक महिला और पुरुष के बीच शादी को ही वैधानिक मानता था।
कोर्ट के जजों ने अपने इस आदेश में संसद को इस संबंध में नया कानून बनाने या मौजूदा कानून में ही संशोधन के लिए दो वर्ष का समय दिया था। अदालत के आदेश के अनुसार दो वर्ष की यह अवधि कुछ दिन बाद पूरी हो रही थी, जिससे पहले ही संसद ने यह ऐतिहासिक फैसला लिया।
इसके लिए तीन अलग-अलग विधेयकों पर चर्चा हुई। इसमें सर्वाधिक प्रगतिशील माने जाने वाले विधेयक को मंजूरी दे दी गई। इसके पक्ष में 66 वोट पड़े,जबकि विपक्ष में 27 वोट पड़े।