इस देश के राष्ट्रपति की सुरक्षा में तैनात हैं इन पक्षियों की फौज, खतरे से पहले हो जाते अलर्ट

इस बारे में सोवियत संघ के दौरान राष्ट्रपति भवन के सुपरिंटेंडेंट रहे पावेल मेल्कॉव ने अपने किताब में भी इस समस्या का जिक्र किया है. लेनिन ने आने के बाद गौर किया कि केवल कौओं को मारने के लिए रूस कितना गोलाबारूद और मैनपावर बेकार कर रहा है. तब उन्होंने ही इसपर रोक लगाने की बात की. हालांकि इससे समस्या तो खत्म होनी नहीं थी.

 

तत्कालीन सोवियत संघ के शुरुआती दौर में इमारतों की सुरक्षा के लिए कौओं को मार गिराने या दूर भगाने वाले गार्ड रखे गए थे. साथ ही उन्हें डराने के लिए शिकारी परिदों की रिकॉर्डेड आवाज का भी इस्तेमाल किया गया था, परंतु ये सभी तरीके बेकार साबित हुए और कौओं का आना जारी रहा.

हालांकि शुरुआत में शिकारी पक्षियों की तैनाती का मकसद कुछ और ही था. राष्ट्रपति भवन के आसपास कौओं और दूसरे छोटे पक्षियों का झुंड मंडराता रहता था. वे खाने की तलाश में आया करते थे. हालांकि राष्ट्रपति भवन में बचे हुए खाने को फेंकने की व्यवस्था काफी बढ़िया थी लेकिन इसके बाद भी कौओं का आना कम नहीं हुआ.

साल 1984 से ये पक्षी FGS का हिस्सा हैं. रेप्टर नाम का शिकारी परिंदा इस स्क्वाड का लीडर है. इसके अलावा टीम में फिलहाल 10 से ज्यादा बाज और उल्लू हैं. इन बाजों और उल्लुओं को सुरक्षा के लिहाज से खास तरह की ट्रेनिंग दी गई है.

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) आएदिन किसी न किसी वजह से सुर्खियों में रहते हैं. खासकर उनका आक्रामक रवैया हमेशा चर्चा में रहा. अब पता चला है कि पुतिन जहां रह रहे हैं.

वहां यानी क्रेमलिन (Kremlin) में राष्ट्रपति भवन की सुरक्षा में पक्षियों की तैनाती भी की गई है. बाज और उल्लू जैसे पक्षियों को ट्रेनिंग गई कि वे आने-जाने वाले पर निगाह रख सकें और खतरे के हालात में अलर्ट कर सकें.