इस दरोगा पर कोर्ट ने दिया 420 का मुकदमा दर्ज करने का आदेश

आगरा की सीजेएम कोर्ट ने एक दरोगा समेत 5 लोगों को 420 की धाराओं में मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है। दरअसल, दरोगा ने 4 साल पहले मर चुके एक शख्स के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुदकमे दर्ज किए थे। यही नहीं जांच के बाद मुर्दे द्वारा बवाल करने का आरोप पत्र भी दाखिल कर दिया था। जब मामला कोर्ट पहुंचा तो दरोगा के असलियत सामने आ गई। हालांकि, कोर्ट के आदेश के बावजूद इस मामले में अभी तक कोई विभागीय कार्रवाई नहीं हुई। वहींं, आला अधिकारी भी इस मामले में कुछ भी कहने से बच रहे हैं।

क्या है पूरा मामला

मामला थाना एत्मादपुर क्षेत्र का है। यहां मायावती के शासन काल में यमुना एक्सप्रेसवे बनाए जाने के दौरान जेपी ग्रुप द्वारा किसानों की जमीन अधिग्रहित करी जा रही थी, तो किसान और पेशे से वकील उदयवीर सिंह द्वारा लगातार कागजी कार्यवाही की जा रही थी। इसको देखते हुए जेपी ग्रुप द्वारा उदयवीर पर दबाव बनाने के लिए एक तहरीर दी गई थी। तहरीर में जमीन के खसरा खतौनी कागजों में अंकित पंद्रह लोगों के नाम खोल दिए गए थे। इस मामले में उस समय मामले में उस समय थाना एत्मादपुर के छलेसर में तैनात दरोगा श्याम ने पहले बिना जांच के मुकदमा दर्ज कर लिया और उसके बाद चुपचाप बिना कोई जांच किए 90 दिन के अंदर आरोप पत्र दाखिल कर दिए।

मुकदमे में पहला नाम मर चुके व्यक्ति का था

जिन 15 लोगों को मुकदमे में नामजद किया गया था, उनमें मुख्य और पहला नाम महेश चंद का था, जबकि महेश चंद्र की मुकदमा दर्ज होने से काफी समय पहले ही बीमारी के कारण मौत हो गई थी। आरोप है कि दरोगा ने सांठगांठ के चलते मामले की जांच नहीं की और मृतक को मुख्य आरोपी बनाकर आरोप पत्र दाखिल कर दिया।

कोर्ट ने दिए मुकदमा दर्ज करने के आदेश

इसके बाद परेशान होकर मृतक के भाई उदयवीर ने कोर्ट का सहारा लिया और दरोगा समेत जेपी ग्रुप के चार लोगों को नामजद करते हुए मुदकमा दाखिल किया। कोर्ट में जब मृत्यु प्रमाण पत्र जैसे कई साक्ष्य आए तो सीजेएम अजय चौरसिया ने तत्काल एत्मादपुर थाने को दरोगा समेत 5 लोगों पर तत्काल 420 की धाराओं में मुकदमा दर्ज करने के आदेश दे दिए। वर्तमान में दरोगा आगरा शहर के एक थाने में तैनात हैं। इस मामले में दरोगा पर कोई भी विभागीय कार्रवाई नहीं की है। वहीं, अधिकारी भी कोई बयान देने से बच रहे हैं।